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भाषण: करमसदमें

साथ में और मेरे समान और सैकड़ों व्यक्ति लंघन करेंगे। यदि आप कष्ट सहन करेंगे तो सुख आपके पीछे दौड़ता हुआ आयेगा। यह प्रकृतिका नियम है।

जहाँ तलाटी, मुखिया और चौकीदारका आतंक है वहाँ तहसीलदारका कहना ही क्या है? एवं कलक्टरकी ओर तो देखा भी कैसे जा सकता है? आपके मनमें यह झूठा भ्रम पैठ गया है। अधिकारियोंसे डरना चाहिए ऐसा कानूनमें कहीं नहीं है। हम डरेंगे नहीं तो कानूनके अन्तर्गत भी हमें दण्ड नहीं दिया जा सकता। हमें तो ईश्वरसे ही डरना चाहिए।

जिन लोगोंके ऊपर अत्याचार किये जा रहे हैं उन्हें घबराना नहीं चाहिए। सरकारसे जूझनेका यह नया ही अवसर है। यह सत्यकी लड़ाई है। भाई इन्दुलाल[१] और भाई हरिप्रसाद[२] इस ताल्लुकोमें ही रहेंगे। आप उन्हें अपने कष्टोंकी जानकारी देते रहें। हम अन्य ताल्लुकोमें भी ऐसा ही प्रबन्ध करेंगे। हम नित्यप्रति एक हस्तलिखित पत्रिका निकालेंगे, उसमें दैनिक स्थिति बताते रहेंगे। इससे आपको विश्वास हो जायेगा कि हम एक भी क्षण आलस्यमें नष्ट न करके आपकी लड़ाईमें ही खर्च करते हैं। इसी शुक्रवारको, यहाँकी स्थितिके सम्बन्धमें एक सभा बम्बईमें की जायेगी।[३] धीरे-धीरे समस्त भारत जग जायेगा। इसका श्रेय आपको ही मिलेगा। खेड़ा जिलेने समस्त देशको मार्ग दिखाया है। इससे समस्त देशका कल्याण होगा। जब किसान यह कहेंगे कि ‘हम मर्द हैं, बहादुर हैं, और सत्यकी खातिर त्याग करनेके लिए तैयार हैं’, तब मैं कहूँगा कि वे मनुष्य नहीं है, बल्कि देवता हैं। मैं आपकी जीतकी कामना करता हूँ।

[गुजरातीसे]
खेड़ा सत्याग्रह
 

२०३. भाषण : करमसदमें

अप्रैल ४, १९१८

कुछ दिन पहले जब हम नडियादमें इकट्ठे हुए थे और हमने सत्याग्रहका निश्चय किया था तब मैंने कहा था कि मैं मुहम्मद अली और शौकत अलीके कार्यके सम्बन्ध में दिल्ली जा रहा हूँ। ऐसा लगता है कि मानो मैं अलीबन्धुओंके मामलेमें गहरी दिलचस्पी नहीं ले रहा हूँ; किन्तु उनके कार्यमें में कितना रत हूँ, यह में ही जानता हूँ। आज यहाँ जो मेहमान मौजूद हैं उनमें भाई शुएब[४] भी उसी कोटिके व्यक्ति हैं जैसे कि अली-बन्धु। मैंने मुस्लिम लीगकी सभामें कहा था कि मैं भारतमें जहाँ-जहाँ जाता हूँ, वहाँ-वहाँ जो मुसलमान खुदा-परस्त और सत्य-भक्त होते हैं उनसे प्रेमपूर्वक भेंट करता हूँ ।

  1. इन्दुलाल याज्ञिक; एक सक्रिय राजनैतिक कार्यकर्त्ता; गांधीजीने इन्हींसे नवजीवन लेकर उसे साप्ताहिकका रूप दिया था।
  2. डॉ० हरिप्रसाद; जिन्होंने खेड़ा सत्याग्रहमें कार्य किया था।
  3. यह सभा बादमें स्थगित कर दी गई थी, देखिए अगला शीर्षक।
  4. सभामें बाबू राजेन्द्रप्रसाद, न्यू इराके सम्पादक श्री शुएब कुरैशी और अन्य कई लोग उपस्थित थे।
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