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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

 

दो भाई चम्पारनके हैं। वे राजा जनकके देशसे आप लोगोंके दर्शन करनेके लिए आये हैं। मुझे आशा है कि आप इन सब बातोंको भूल नहीं जायेंगे और बदथलकी लाज न खोयेंगे।

[गुजरातीसे]
खेड़ा सत्याग्रह
 

२०७. पत्र: एक युवकको

नडियाद
फाल्गुन वदी १० [अप्रैल ६, १९१८]

भाईश्री,

आपके सम्बन्धमें भाई पोलकका तार मिला है और उस सम्बन्धमें उत्तर भी आ गया है। मैंने . . . .[१] के साथ काफी देरतक बातचीत की है। उन्होंने आपको सब-कुछ लिखा होगा। आप थोड़ा धैर्य रखें तो अच्छा हो। वे आपको अवश्य मुक्त करेंगे; वे इसका वचन देते हैं। इतना ही पर्याप्त होना चाहिए? अभीसे बात जाहिर करनेमें नुकसान है। ऐसा भाई....[१] कहते हैं।

और हाँ, एक बात और है। आपकी तबीयत बिलकुल ठीक हो जानेकी हम अवश्य उम्मीद रखते हैं। और यदि ऐसा हो तो सब लोगोंकी इच्छा है कि आप विवाह करनेमें आनाकानी न करें। ऐसा कहनेवालोंमें मैं सबसे पहले हूँ। आपके सम्बन्धमें मुझे केवल इतना ही कहना है कि आप और...[१] विवाह न करेंगे तो यह केवल स्वास्थ्यके कारण ही होगा, दूसरा कोई कारण नहीं हो सकता। इसमें पिताजीको शान्ति मिलेगी और...[१]। का जीवन सुखमय होगा। आप निश्चिन्त होकर अपने स्वास्थ्यको सुधारें। आप यदि तनिक भी अस्वस्थ होंगे तो कोई आपसे [विवाहके लिए] आग्रह नहीं करेगा। मेरी ख्वाहिश यह है कि आप अपने शुभचिन्तकोंकी खातिर प्रसन्नतापूर्वक [विवाहकी] स्वीकृति दें, परन्तु अपने स्वास्थ्यको बिगाड़कर नहीं।

मोहनदास गांधीके वन्देमातरम्

[गुजरातीसे]

महादेव देसाईकी हस्तलिखित डायरीसे।

सौजन्य: नारायण देसाई