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२१४. सन्देश : राष्ट्रीय शिक्षाके सम्बन्ध में[१]

अप्रैल ८, १९१८

यदि जनताको समझाया जा सके कि सच्ची राष्ट्रीय शिक्षा क्या है, और उसके प्रति रुचि जाग्रत की जा सके, तो सरकारी स्कूलोंमें कोई झाँकेगा भी नहीं और जब-तक सरकारी संस्थाओंमें दी जानेवाली शिक्षाका ढंग बुनियादी तौरपर बदलकर, उसमें राष्ट्रीय आदर्शोंका समावेश नहीं किया जाता तबतक लोग उसे नहीं अपनायेंगे।

[अंग्रेजीसे]
इंडियन रिव्यू, अप्रैल १९१८

२१५. भाषण : बोरसदमें[२]

अप्रैल ८, १९१८

श्री गांधीने कहा कि सरकार लोगोंको डरा-धमका कर नहीं, उनकी मरजीसे ही लगान (राजस्व) ले सकती है। उन्होंने बहुत स्पष्ट कहा कि ब्रिटिश शासनमें अंधेर नहीं हो सकता।

[अंग्रेजीसे]
बॉम्बे क्रॉनिकल, ११-४-१९१८

२१६. पत्र: एन० एम० जोशीको[३]

[नडियाद]
अप्रैल ९, १९१८

प्रिय मित्र,

मैंने अभी-अभी सुना कि आप मित्रोंसे यह कहते हैं कि फसलके अनुमान सम्बन्धी आपकी जाँच और मेरी जाँचका परिणाम एक ही है, मेरे इस कथनका विरोध आपने मेरे लिहाजके कारण नहीं किया। साथ ही आपका यह खयाल है कि मैंने लोगोंको नाहक

  1. राष्ट्रीय शिक्षा-सप्ताहके उद्घाटनके अवसरपर गोखले हॉल, मद्रासमें एनी बेसेंट द्वारा पढ़कर सुनाया गया संदेश।
  2. गांधीजी अपने दलके साथ गाँव पहुँचे थे। उन्होंने लगभग ४,००० किसानोंकी एक सभामें भाषण दिया था।
  3. नारायण मल्हार जोशी; भारतमें मजदूर आन्दोलनका सूत्रपात करनेवाले; भारत सेवक समाजके प्रमुख कार्यकर्ता।