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सम्पूर्ण गांधी वाङ‍्मय

सकेंगे, तभी हमें मुसलमान भाइयोंसे इस विषयमें कुछ कहनेका अधिकार प्राप्त हो सकेगा। और मैं विश्वासके साथ कहता हूँ कि जब हम अंग्रेज भाइयोंको समझा लेंगे, तब हमारे मुसलमान भाई भी हमपर दया करके किसी दूसरी तरहकी कुरबानीसे अपनी धार्मिक रूढ़ि सम्पन्न कर लिया करेंगे। जब हम अपना हिंसा-दोष स्वीकार कर लेंगे, तब हमारी गोशालाओंका प्रबन्ध भी बदल जायेगा। तब हम अपनी गोशालाओंमें केवल कमजोर गायोंको ही नहीं रखेंगे, बल्कि हृष्ट-पुष्ट गायों और बैलोंको भी रखेंगे। वहाँ हम ढोरोंकी नस्ल सुधारनेका प्रयत्न करेंगे और शुद्ध दूध-घी आदि भी पैदा कर सकेंगे। यह प्रश्न केवल धार्मिक ही नहीं है। इसमें हिन्दुस्तानकी आर्थिक उन्नतिकी बात भी आ जाती है। अर्थशास्त्रियोंने अकाट्य आँकड़े देकर यह सिद्ध कर दिखाया है कि हिन्दुस्तानके बहुतसे ढोर इतने कमजोर हैं कि कितने ही गाय-बैलोंको रखने में जो खर्च पड़ता है, उसकी तुलनामें दूध बहुत कम मिलता है। हम अपनी गोशालाओंको अर्थशास्त्रके अध्ययन और इस बड़ी समस्याके समाधानके केन्द्रोंमें परिणत कर दें। गोशालाओंमें अभी जो अधिक खर्च आता है, उसे हमें जैसे-तैसे पूरा करना पड़ता है। मेरी कल्पनाकी गोशाला आर्थिक दृष्टिसे आत्म-निर्भर होगी। ऐसी गोशालाएँ शहरके भीतर नहीं होनी चाहिए। शहरके बाहर सौ-दो सौ एकड़ जमीन लेकर वहाँ हम ऐसी गोशालाएँ स्थापित कर सकते हैं। उसमें गायोंके लिए अनाज और हर प्रकारकी घास आदि पैदा की जा सकती है। और उनके मल-मूत्रसे जो कीमती खाद बनेगा, उसका हम सुन्दर उपयोग कर सकते हैं। आशा है, आप सब मेरी बातोंपर पूरा ध्यान देंगे। मोतीहारीकी गोरक्षिणी सभाने मेरी उपर्युक्त सलाह स्वीकार की है। अन्तमें मेरी प्रार्थना है कि तदनुसार बेतिया और मोतीहारीकी ये दोनों संस्थाएँ मिलकर इस महत् कार्यको अपने हाथोंमें ले लेंगी।

[गुजरातीसे]
गोसेवा

३. पत्र : छगनलाल गांधीको

मोतीहारी
चम्पारन
अक्तूबर १०, १९१७


चि॰ छगनलाल,

तुम्हारा पत्र मिल गया है। मैंने मान लिया है कि तुम भड़ौंच आओगे। वेस्ट [१]पुस्तकोंके लिए शोर मचाये रहते हैं। यदि उनके लिए शब्द-कोष आदि जो भी पुस्तकें

  1. अल्बर्ट हेनरी वेस्ट, जिनसे गांधीजीकी मुलाकात सर्वप्रथम जोहानिसबर्गके शाकाहारी उपाहारगृहमें हुई थी। उन्होंने गांधीजीके साथ काम किया और सत्याग्रह आन्दोलनके दौरान जेल भी गये थे। वे फीनिक्स आश्रमसे प्रकाशित इंडियन ओपिनियनके मुद्रक थे। बादमें उनकी पत्नी, माँ और बहन भी आश्रममें रहने लगी थीं।