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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

है, वैसे लोगोंके सम्मुख सरकार है, फिर चाहे वह ब्रिटिश सरकार हो या देशी राजा। मोटर पाससे निकलती है तो बैलकी आँखोंमें डर छा जाता है और वह एकदम घबरा जाता है। इसी प्रकार लोग भी सरकारकी सत्ताके सामने काँपते हैं यह मुझसे देखा नहीं जाता। आप सरकारसे कह सकते हैं कि वह आपको अपने कानूनके मुताबिक राहत दे। यदि आप उससे इतना काम करा लेंगे तो इस अधःपतनकी अवस्थामें से निकल जायेंगे और आपमें कुछ चैतन्य आ जायेगा।

हम नित्य प्रातःकाल अनेक महान् पुरुषों और सती-साध्वी नारियोंका नाम लेते हैं। हम सीता, राम, नल, दमयन्ती, प्रहलाद और अन्य सत्पुरुषोंके नाम जपते हैं। किस लिए? उद्देश्य यह है कि हमें उनके जीवनसे स्फूर्ति मिले। हमारे धर्म-ग्रन्थोंमें कहा गया है कि जो मनुष्य होनेपर भी पशुवत् जीवन बिताता है वह दूसरे जन्ममें पशु-योनिमें जाता है। आप कलक्टरके पास गये और कमिश्नरके पास गये। आप बम्बई सरकारके पास भी गये और जब आपको कहीं भी सफलता न मिली तो आप थककर बैठ गये। यदि ऐसा ही हो तो मुझे कहना चाहिए कि इस प्रकार बैठ जाना तो पशुकी स्थिति है। हम किसीको मारकर या स्वयं अपने प्राण देकर सुखी हो सकते हैं। इनमें से पहला उपाय पशुओंका है और दूसरा मनुष्योंका। पशुओंकी आत्मा सदा सुप्त रहती है; मनुष्यको सदा जाग्रत। जबतक हमारी आत्माका विकास नहीं होता, जबतक वह जाग्रत नहीं होती, तबतक हमारा उद्धार न होगा।[१] मैं आपको एक पौराणिक गाथा सुनाऊँ। एक ऋषि थे। उनकी भृकुटीसे अग्नि झरती थी जिससे समस्त दुःख नष्ट हो जाते थे। इस शास्त्र वचनका अर्थ यही है कि यदि आत्मा जाग्रत हो जाये तो उससे सरकारके सारे अन्याय दूर हो जायें। इस तथ्यको मैं आपको स्पष्ट बताना चाहता हूँ। यदि हमें दुःखमें से सुख प्राप्त करना है तो हमें दुःख सहन करने चाहिए और सत्यके लिए मर-मिटना चाहिए। जो सत्यकी महिमा जानता है और जिसे उसका अन्तर्ज्ञान हो गया है वह सदा सुखी है। चाहे मेरा सर्वस्व चला जाये; किन्तु मुझसे मेरे आत्मिक आनन्दको कोई नहीं छीन सकता। मेरी इच्छा है कि यह आनन्द आप सभीको प्राप्त हो। हम लोगोंमें धार्मिक जाग्रतिकी आवश्यकता है। हमें सत्य बोलना और सत्यपर आचरण करना सीखना चाहिए। चौकीदार नित्य आये और जब्तीका हुक्म लाये तो भी कोई परवाह नहीं। मैं आपको आपकी प्रतिज्ञाकी मान-रक्षाके विचारसे कहता हूँ कि आप चाहे अपना सर्वस्व लुटा दें और चाहे फकीर हो जायें किन्तु आप अपनी प्रतिज्ञासे न डिगें। मनुष्यका धर्म यही है। मैं बहनोंको विश्वास दिलाता हूँ कि हम भूखे नहीं मरेंगे। जो कुछ आज चला जायेगा, वह कल फिर आ जायेगा; किन्तु यदि हमारी बात चली जायेगी तो फिर वापस न आयेगी। हमें अपनी प्रतिष्ठा, प्रतिज्ञा, सम्मान और मनुष्यत्वकी रक्षा करनी है। हमें लोगोंके लिए यही विरासत छोड़नी है। मेरी कामना है कि ईश्वर आपको शक्ति दे और आप भारतमें अपने नामको उज्ज्वल करें। जिन भाइयोंने प्रतिज्ञा ली है,

  1. बॉम्बे क्रॉनिकल और न्यू इंडियाको खबरोंमें यह भी कहा गया है: “हम पशुबलको दबाकर और उसके स्थानमें आत्मबलको रखकर ही नित्य आत्मिक चेतना प्राप्त कर सकते हैं और उसीके फलस्वरूप हमारा परित्राण संभव है।”