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पत्र: पैट्रिक गेडिसको

वे मुझे आश्वस्त करें। आप मुझे यह कहें कि ब्रह्मांड खंड-खंड हो जाये और सूर्य उदित न हो, फिर भी आपने जो प्रतिज्ञा ली है, उसे आप न छोड़ेंगे।[१]

आप लोग [कमिश्नरसे] कहें: “आप चाहे हमारा सिर काट डालें, परन्तु हम लगान न देंगे। हम सरकारके अन्यायके आगे कदापि न झुकेंगे। किन्तु यदि आप दया करके लगान माफ कर देंगे और गरीबोंको दुःखी न होने देंगे तो हममें से जो भी लगानका रुपया दे सकेंगे, दे देंगे।”

[गुजरातीसे]
खेड़ा सत्याग्रह
 

२२५. पत्र: पैट्रिक गेडिसको[२]

नडियाद
अप्रैल १२, १९१८

प्रिय प्रोफेसर गेडिस,[३]

आपके अत्यन्त स्नेह-भरे पत्रके लिए सचमुच आभारी हूँ।

हम लोग पश्चिमकी जो ओछी नकल कर रहे हैं, उसपर आपको जितना दुःख होता है, मुझे भी उससे कुछ कम नहीं होता। मैं आपकी दुनियासे बहुत-कुछ लेना चाहता

  1. इसके बादके अनुच्छेदमें गांधीजीने किसानों के इस प्रश्नका उत्तर दिया है कि वे कमिश्नरकी सभामें क्या कहें?
  2. यह श्री गेडिसके पत्रके उत्तर में लिखा गया था। उनके पत्रके मुख्य मुद्दे महादेवभाईकी डायरीमें अंकित हैं। तदनुसार उन्होंने कुछ ऐसी बातें लिखी थीं: (१) सम्मेलन सचमुच पूर्णत: अंग्रेजी ढंगका हुआ। उसमें योग्य व्यक्तियोंने, उचित स्वरमें उचित प्रतीतिके साथ प्रसंगानुकूल भाषण किये। (२) यहाँ अबतक किसी भी बड़े सम्मेलनमें इस बातपर विचार नहीं किया गया है कि अंग्रेजोंसे क्या चीजें सीखी जा सकती हैं। वहाँ तो एवन नदीके किनारे स्ट्रैटफर्ड में शेक्सपीयरके नाटकोंका अभिनय किया जाता है। आपकी नाटयशालाएँ इस सम्बन्धमें निष्क्रिय हैं। उनमें तुलसीदासका नामतक नहीं लिया जाता। (३) आप पश्चिमके उदाहरणसे कुछ क्यों नहीं सीखते, उनके तौर-तरीके क्यों नहीं अपनाते? वेल्समें हर साल एक भारी जलसा होता है। गत जलसेसे पहलेवाले जलसेमें मैं उपस्थित था। वहाँ मैंने लॉयड जॉर्जको प्रचण्ड ओजके साथ, आग उगलते हुए सुना। इसका कारण यह था कि वे अपनी मातृभाषामें बोल रहे थे। उन्होंने कहा, यहाँ हम गानेके लिए आये हैं। (४) उनका पण्डाल समूह-गानके लिए विभिन्न स्वरोंवाले लोगोंकी मण्डलियों में विभक्त था। (५) आप आयरिश लोगोंसे भी कुछ सीख सकते हैं, जो अवकाश-कालीन सम्मेलनोंका आयोजन करके अपनी भाषाको पुनः प्रतिष्ठित करनेका प्रयत्न कर रहे हैं। (६) प्रोवेंसका ही उदाहरण लीजिए, जहाँके लोग अपने लोक-कवि मिस्ट्रालकी पूजा करते हैं। स्वीडनवालोंने वृद्ध मिस्ट्रालको नोबेल पुरस्कार दिया। उस रकमसे प्रोवेंसवालोंने बड़े कामका एक संग्रहालय खोल दिया। (७) डेनमार्कके एक विशप और एक गृहस्थने लोगोंको व्यावहारिक शिक्षा देना अपना जीवनोद्देश्य बना लिया था। (८) आपको भी अपनी सभाओंके लिए मध्ययुगीन मण्डपोंको छोड़कर प्रेक्षागारोंकी व्यवस्था करनी चाहिए। (९) हिन्दी और उर्दूको एक करनेके आन्दोलनका समर्थन कीजिए। यह बहुत-कुछ सैक्सन और फ्रांसीसी शब्द-भण्डारोंको एक करनेके प्रयत्न-जैसा है।
  3. उन दिनों वे बॉम्बे स्कूल ऑफ इकनॉमिक्सके निदेशक थे।