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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

उसका कहना सत्य है और प्रजा कहती है कि उसका कहना सत्य है। हम सत्य कहते हैं; सत्य कहनेपर भी हमें राहत नहीं मिलती। राजा और प्रजामें मतभेद हो तो राजा क्या करे; यह बात इस लड़ाईसे तय हो जायेगी। सारे देशके लोगोंकी आँखें आपपर लगी हैं। आप हिम्मत करके डटे रहें; नामर्दी न दिखायें। कार्य आरम्भ न करना बुद्धिमानी है; किन्तु आरम्भ कर दें तो उसे मृत्यु पर्यन्त न छोड़ना वीरताको निशानी है।

मुझसे कहा जाता है कि मैं पाटीदारों और गुजरातके लोगोंसे सावधान रहूँ; किन्तु मैं तो सभीको अपने जैसा ही देखता हूँ। सबमें एक ही आत्मा होती है और सबमें शक्ति भी एक ही होती है। हम ज्यों-ज्यों इसके विकासका प्रयत्न करते हैं, यह त्यों-त्यों विकसित होती है। यह मेरा अनुभव है इससे आपका लाभ होगा और आपको राहत मिलेगी। इसीलिए मुझे आशा है कि आप अपनी प्रतिज्ञापर अवश्य कायम रहेंगे। पाटीदार साहसी हैं और क्षत्रिय हैं। वे समझते हैं कि अपनी जमीनोंके मालिक वे खुद हैं इसलिए उन्हें इसका अभिमान होना स्वाभाविक है। वे अपनी टेक न छोड़ेंगे। वे धर्म न त्यागेंगे; बल्कि अन्ततक लड़ते हुए लोगोंकी बातको सरकारसे मनवायेंगे। ऐसा होगा तो स्वराज्य अपने हाथमें ही है। स्वराज्य अपने अधिकार और कर्त्तव्य समझ लेनेसे मिलेगा। श्री मॉण्टेग्यु प्रत्यक्षतः चाहे इंग्लैंडसे आकर हमें बड़े-बड़े अधिकार दे दें; किन्तु यदि हमें अपने अधिकारों और कर्त्तव्योंका ज्ञान न होगा तो उनसे हमें कोई भी लाभ न होगा। इस बातको समझनेके लिए हमें शिक्षण और प्रशिक्षणकी आवश्यकता है। मेरा खयाल है कि इस सम्बन्धमें आपमें प्राथमिक ज्ञान और समझ है; मेरा विश्वास है कि उसी प्रकार आपने इस लड़ाईके सम्बन्धमें जो प्रतिज्ञा ली है वह विचारपूर्वक ली है। आप इस प्रतिज्ञाका पालन सोच-समझकर करें। इस लड़ाईमें द्वेष-भावके लिए स्थान नहीं है। इसमें तलवार या किसी और हथियारका कार्य भी नहीं है। सत्यके मार्गपर चलना ही अपना हथियार है और साहस एवं श्रद्धा हमारे शस्त्र हैं। सत्याग्रहकी लड़ाईमें हारकी गुंजाइश तो है ही नहीं। यदि हम अपनी जमीनको आत्म-सम्मानसे अधिक प्यारी मानेंगे तो निश्चय ही हारेंगे। मुझे विश्वास है और में आशा करता हूँ कि मैंने खेड़ाके लोगोंपर भरोसा किया है, वह झूठा सिद्ध नहीं होगा। मेरी प्रार्थना है कि सरकारके विरुद्ध जूझकर आप खेड़ाका नाम उज्ज्वल करें।

[गुजरातीसे]
खेड़ा सत्याग्रह