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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

और शुद्ध धर्मकी भावना जाग्रत करें। और यही हमारा कर्त्तव्य भी है। यदि हम जैसा कहें वैसा हिम्मतसे कर दिखायें तो कार्य शीघ्र सिद्ध होगा। शत्रुको मारकर राज्य भोगनेकी इच्छा तुच्छ इच्छा है। हमारा धर्म यह है कि हम उन्हें अपने मतका बनाकर मित्र बना लें। भाई पढ़ियारको कायरतासे छुटकारा पाना चाहिए।

मोहनदास करमचन्द गांधी

[गुजरातीसे]
अन्त्यज स्तोत्र
 

२३५. सन्देश: सत्याग्रही किसानोंको[१]

नडियाद
अप्रैल १७, १९१८

आप लोगोंने श्री प्रैटका भाषण शान्तिपूर्वक, ध्यानसे सुना, यह बहुत अच्छा किया। सत्याग्रहियोंको यही शोभा देता है। संयोगवश हमें सरकारकी लगान सम्बन्धी आज्ञाका अनादर करना पड़ा है, परन्तु सरकारी अफसरोंका उचित सम्मान करना हम न भूलें। हम भय और गुलामीसे मुक्त होना चाहते हैं, परन्तु विनयको नहीं छोड़ना चाहते। उद्धत तो हम हो ही नहीं सकते। सत्याग्रहमें विनय तो सदा रहती ही है।

कमिश्नर साहबने किसानों के अधिकार और कर्त्तव्य बताये। उनकी दोनों सलाहें ठीक हैं। परन्तु वे यह बताना भूल गये कि मनुष्यमात्रका भी एक सच्चा अधिकार और कर्त्तव्य होता है। वह कर्त्तव्य यह है कि कोई भी व्यक्ति कोई काम डरके मारे न करे; इसलिए यदि कोई उसे डर दिखाकर कोई काम कराना चाहे, तो उसका अधिकार है कि वह उस बातका विरोध करे। इस अधिकारके आधारपर खेड़ाके लोग इस समय सरकारकी आज्ञाका सविनय उल्लंघन कर रहे हैं। हम मानते हैं कि इस साल फसल रुपये में चार आनेसे कम हुई है, इसलिए लगानकी वसूली मुलतवी की जानी चाहिए। इसलिए जो लगान मुलतवी किया जाना चाहिए, उसे अगर हम जमा करायेंगे, तो सिर्फ इसी डरसे करायेंगे कि सरकार हमारी जंगम सम्पत्ति बेच डालेगी या हमारी जमीनें जब्त कर लेगी। अगर हम इस डरसे दबकर रह गये तो पौरुषहीन हो जायेंगे। लगभग अस्सी फीसदी किसानोंने इस डरसे लगान अदा कर दिया है। इसलिए बीस फीसदीके हाथमें सौ फीसदीकी लाज रह गई है। जिसने अपना पौरुष खो दिया है, वह सच्ची वफादारी भी नहीं दिखा सकता। पशुओं और मनुष्योंके बीचका भेद पौरुषमें ही निहित है। हमारी यह लड़ाई पौरुष दिखानेकी लड़ाई है।

  1. गांधीजीने अपने १५ अप्रैलके अखबारोंको भेजे गये पत्रमें कमिश्नर प्रैटके भाषणपर विचार किया है। इस लेखमें उन्होंने प्रश्नका पर्याप्त विवेचन किया है। महादेव देसाईके कथनानुसार उन्होंने इसे अपने १२ अप्रैलके नडियादके भाषण में कही गई मुख्य बार्तोका स्पष्टीकरण करनेके लिए पुस्तिकाके रूपमें निकाला था।