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स्वयंसेवकों को निर्देश

उन्होंने ‘माता-पिता और बच्चों’ के बीचके सम्बन्धों-जैसा माना है। किसी माता-पिताने अपने लड़केको सविनय विरोध करनेपर पद-भ्रष्ट किया हो, ऐसा उदाहरण सारी दुनियाके इतिहास में नहीं पाया जाता। खेड़ाके लोगोंकी प्रतिज्ञाका भूलभरा होना असम्भव नहीं है। परन्तु इस प्रतिज्ञामें अविनय, उद्धतता या उदण्डताका लेशमात्र भी नहीं है। ऐसी धार्मिक भावनासे उन्नतिके लिए ली गई प्रतिज्ञाका उपर्युक्त घोर दण्ड दिया जाये, यह मुझे असम्भव लगता है। भारत ऐसे दण्डको सहन नहीं कर सकता और ब्रिटिश अधिकारी कभी उसका समर्थन नहीं कर सकते। ब्रिटिश जनताको ऐसी सजासे अवश्य ही दुःख होगा। अगर ऐसा घोर अन्याय ब्रिटिश राज्यमें हो तो ऐसे राज्यमें में विद्रोहीकी हैसियतसे ही रह सकता हूँ। परन्तु ब्रिटिश शासन-नीतिमें कमिश्नर साहबकी अपेक्षा मेरा विश्वास अधिक है। अब भी मैंने जो बात आपसे पहले कही थी उसे फिर दुहराता हूँ कि शुद्ध भावसे किये गये कामके लिए तुम्हें अपनी जमीन खोनी पड़े, मैं इसे असम्भव मानता हूँ। फिर भी हमारी तैयारी जमीन खोनेकी भी होनी चाहिए। हम एक ओर अपनी प्रतिज्ञा और दूसरी ओर अपना सर्वस्व रखें। उस समस्त स्थावर और जंगम सम्पत्तिकी कीमत प्रतिज्ञाके मुकाबलेमें कुछ भी नहीं है। आपकी प्रतिज्ञाके पालनकी विरासत लाखों रुपयेकी जायदादसे कहीं ज्यादा कीमती है। उसमें समस्त भारतको ऊँचा उठानेका रास्ता छिपा है। मुझे विश्वास है कि आप इस रास्तेको कभी नहीं छोड़ेंगे। ईश्वर इस प्रतिज्ञाके पालन करनेका आपको बल दे; यही मेरी कामना है।

[गुजरातीसे]
महादेवभाईनी डायरी, खण्ड ४
 

२३६. स्वयंसेवकोंको निर्देश

सत्याग्रह शिविर
नडियाद
अप्रैल १७, १९१८

१. स्वयंसेवकोंको याद रखना चाहिए कि चूंकि यह लड़ाई सत्याग्रहकी लड़ाई है, इसलिए उसमें सदा सत्यका प्रयोग ही करना चाहिए।

२. सत्याग्रहमें द्वेषके लिए स्थान नहीं है, इसलिए चौकीदारसे लेकर गवर्नर तक किसी भी कर्मचारी या अधिकारीके लिए कठोर शब्दोंका व्यवहार न किया जाये और यदि कोई करे तो उसे रोकना स्वयंसेवकोंका धर्म है।

३. सत्याग्रहमें उद्धतता नहीं होती। इसलिए जो हमें शत्रु मानते हों उनके साथ भी पूर्ण नम्रताका बरताव करना सीखना चाहिए। उद्धततासे इस लड़ाईको हानि पहुँचती है और वह लम्बी होती है। प्रत्येक स्वयंसेवकको इस सम्बन्धमें भलीभाँति विचार कर लेना चाहिए और लोगोंको अधिक से अधिक उदाहरण दे-देकर बताना चाहिए कि हमें विनयसे कैसे लाभ होता है और उद्धततासे कैसे हानि होती है।