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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

 

४. स्वयंसेवकोंको यह ध्यान में रखना चाहिए कि यह धर्मयुद्ध है। युद्ध न करनेसे धर्मको हानि पहुँचती थी; इसीलिए हमने यह आरम्भ किया है। अतः धर्म-पालनके निमित्त जिन-जिन नियमोंका पालन करना आवश्यक है उन समस्त नियमोंका पालन किया जाना चाहिए।

५. हम उस शासनका विरोध कर रहे हैं, जो सत्ताके मदसे अन्धा हो गया है, किन्तु हम दूसरी किसी सत्ताका विरोध नहीं कर रहे हैं। यह बात याद रखना जरूरी है। इसलिए अन्य कार्योंमें अधिकारियोंकी सहायता करना हमारा कर्त्तव्य है।

६. पारिवारिक कलहमें हम जिस न्याय-सिद्धान्तको लागू करते हैं, यहाँ हमें उसीकी आजमाइश करनी है। सरकार और लोगोंके मिलनेसे एक महान् कुटुम्ब बनता है, यह मानकर हमें अपने व्यवहारको उचित रूप देना चाहिए।

७. जिनके विचार हमारे विचारोंसे नहीं मिलते उनका न तो बहिष्कार किया जाना चाहिए और न तिरस्कार। किन्तु हमें उनको आदर-भावसे जीतनेका संकल्प करना चाहिए।

८. हमें चालाकीसे एक भी काम नहीं करना है। हमें सदा स्पष्टता और सरलताका ही व्यवहार करना चाहिए।

९. स्वयंसेवकोंको गाँवोंमें रहते हुए लोगोंसे अपना काम कमसे-कम लेना चाहिए। जहाँ पैदल जा सकें वहाँ सवारीका उपयोग न किया जाये। भोजन अत्यन्त सादा रखनेका आग्रह किया जाये। पूड़ी-पकवानोंका उपयोग करने से इनकार करनेमें सेवाकी शोभा होती है।

१०. स्वयंसेवक गाँवोंमें घूमते हुए लोगोंकी आर्थिक दशा, शिक्षा-सम्बन्धी कमी और अन्य बातोंका अवलोकन करें और अपने खाली वक्तमें उन कमियोंकी पूर्तिका प्रयत्न करें।

११. गाँवोंमें बच्चोंको पढ़ानेका अवसर प्राप्त किया जा सके तो उसको प्राप्त किया जाये।

१२. गाँवों में स्वास्थ्यके नियमोंका भंग होता हो तो उसकी ओर लोगोंका ध्यान खींचा जाये।

१३. यदि लोग एक-दूसरेसे झगड़ा-फसाद करते हों तो उससे उनको मुक्त करनेका प्रयत्न किया जाये।

१४. लोगोंको फुरसतके वक्त सत्याग्रह-सम्बन्धी पुस्तकें पढ़कर सुनाई जायें। प्रह्लाद, हरिश्चन्द्र और अन्य पुरुषोंके आख्यान पढ़कर सुनायें जायें। पाश्चात्य देशोंके और इस्लामके ग्रन्थों में शुद्ध सत्याग्रहके उदाहरण मिलते हैं; उन सबसे लोगोंको परिचित कराया जाये।

१५. सत्याग्रहमें किसी भी अवसरपर और किन्हीं भी स्थितियोंमें शस्त्र-प्रयोगका अवकाश नहीं होता। इस लड़ाईमें ऊँचीसे-ऊँची अहिंसाका पालन किया जाना है यह बात कभी भुलानी न चाहिए। ज्ञानपूर्वक दुःख उठाकर दुःखोंका निवारण कराना ही सत्याग्रह है। इसमें किसीको दुःख देनेकी बात आती ही नहीं। सत्याग्रहमें सदा जीत