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२३८. भाषण: दंतेलीमें

अप्रैल १७, १९१८

हम सरकारसे न्याय प्राप्त करनेके लिए यह लड़ाई लड़ रहे हैं। यहाँ आते समय मैंने लोगोंको हलोंमें या गाड़ियोंमें जुते हुए बैलोंको हाँकनेके लिए पिरानीका[१] प्रयोग करते देखा। पशुओंके प्रति यह क्रूरता अक्षम्य है। हम गायोंके रक्षक होनेका दावा करते हैं। गोरक्षाके निमित्त हम मुसलमानोंसे बड़े-बड़े दंगे कर डालते हैं। फिर भी हम बैलोंको आर लगी पिरानीसे मारने में नहीं हिचकिचाते। ऐसे पापोंके कारण ही हमें दुःख सहने पड़ते हैं। मुझे आशा है कि आर लगी पिरानीका प्रयोग बन्द कर दिया जायेगा। मैं जब पेटलाद स्टेशनसे बैलगाड़ी में बैठकर आ रहा था और बैलोंको आरसे कष्ट पाते हुए देखकर मेरे मन में यह विचार आया कि यदि मैं जूते पहनने में कोई पाप मानता हूँ तो उससे अधिक पाप जूते पहनकर बैलगाड़ी में बैठनेमें है। मैं आज यहाँ दयाकी बात करने के लिए नहीं आया हूँ, बल्कि न्यायकी बात करनेके लिए आया हूँ। मेरी मान्यता ऐसी है कि जब हम अपने लिए न्याय माँगते हैं तो हमें दूसरोंको भी न्याय देना चाहिए; इसीलिए मैंने यहाँ इतनी बातें कही हैं। सरकारी लगान देना कोई बहुत मुश्किल बात नहीं है। हम किसीसे उधार लेकर, या भैंसें या जमीन बेचकर लगान दे सकते हैं। तब हम लगान न देकर चीजें जब्त होने देनेमें या जमीनें जब्त होने देनेकी उपाधि क्यों मोल लें? ऐसा कुछ बुद्धिमान लोग हमें कहते हैं। मैं इसका उत्तर कई जगह दे चुका हूँ। यह प्रश्न लगान देनेका नहीं बल्कि सिद्धान्तका है। हम सरकारके भयसे लगान देते हैं, हम इस भयको ही निकालना चाहते हैं। कमिश्नरने सभामें जो-कुछ कहा उसका तात्पर्य इतना ही था कि लोग सरकारका विरोध नहीं कर सकते। इसके विपरीत मैं आपके मनमें यह तत्त्व बिठाना चाहता हूँ कि सरकारकी अन्यायपूर्ण आज्ञाका विरोध करना अराजभक्ति नहीं है, बल्कि शुद्ध राजभक्ति है। सरकारकी आज्ञाको अविरोध चुपचाप मान लेना कमजोरीकी निशानी है, निरी भीरुता है। हमारे पारिवारिक व्यवहारमें, माँ-बाप अन्याय करें तो बेटे और बेटीको उसका विरोध करनेका अधिकार है। जो नियम परिवारपर लागू होता है, उसीको हम सरकार और लोगोंके बीचके सम्बन्धोंपर लागू करना चाहते हैं। हम सरकारका विरोध करके उसे मारना नहीं चाहते, उससे अनुचित रूपसे कोई चीज नहीं लेना चाहते। हमें तो कष्ट सहकर न्याय प्राप्त करना है। हम अबतक भय और कायरतापूर्वक कष्ट सहते थे; अब हमें वही कष्ट ज्ञानपूर्वक सहना है। सरकारको हमारी परीक्षा करनेका अधिकार है। आप सब भाई और बहन सरकारके साथ खेल खेल रहे हैं; किन्तु सरकार जब जमीनें जब्त करेगी तब आपमें से कितने टिकेंगे, यह देखना है। सरकार सभी बड़े कदम उठायेगी, यदि फिर भी आप नहीं गिरेंगे तो वह यह देखकर सहज ही झुक जायेगी ...।[२] जब लोग सरकारसे एक स्वरमें कहेंगे कि वे उसकी अन्यायपूर्ण आज्ञा कभी न मानेंगे

  1. बाँसका डंडा जिसमें नुकीली लोहेकी अनी या आर लगी होती है।
  2. यहाँ मूलमें कुछ छूटा हुआ है।