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भाषण: दंतेलीमें

तो वह अवश्य ही झुकेगी, ऐसा सदासे होता आया है। हमें अपनी सरकारके प्रति वफादार रहना चाहिए। यह हमारा कर्त्तव्य है। ऐसे वफादार लोगोंको अंग्रेज सरकारसे न्याय प्राप्त करनेमें क्या कठिनाई हो सकती है? इसलिए मैं आप सबसे कहता हूँ कि आप सब अन्त तक पक्के रहें और हिम्मत न हारें।

यह वांछनीय है कि आप लोग सत्याग्रहका मर्म भलीभाँति समझ लें। आजसे चार दिन पूर्व में बम्बईमें श्री कारमाइकलसे मिला था। ये बम्बई सरकारके माल-विभागके प्रधान अधिकारी हैं। उन्होंने बातचीतमें मुझसे पूछा कि इस लड़ाईसे अन्तमें लोगोंकी नैतिकतामें वृद्धि होगी या कमी होगी, वे सत्ताके प्रति विनयशील होंगे या उद्धृत। मैंने उनसे कहा कि उनकी नैतिकता और राजभक्ति में कमी होने की कोई आशंका नहीं है। सत्याग्रहकी लड़ाईमें नैतिकता और शिष्टता अवश्य ही बढ़ती है। यदि सत्याग्रहसे हमारी अधोगति हो तो उसे सत्याग्रह नहीं कहना चाहिए, बल्कि दुराग्रह कहना चाहिए। हमारी फसल ज्यादातर स्थानों में चार आनेसे भी कम हुई है और कुछ गाँवोंमें छः आनेसे कम हुई है। इसलिए लगानके कानूनके मुताबिक आधा लगान मुलतवी किया जाना चाहिए। हमारी यही माँग है और वह उचित है, इसीलिए हमने सरकारसे यह प्रार्थना की है। सरकारने फसलके बारेमें हमारा यह अन्दाज ठीक नहीं माना। हमने उससे जांच करनेके लिए जाँच समितिकी नियुक्तिकी माँग की। हमने सरकारको आश्वासन दिया कि यदि अधिकारियोंका अन्दाज ठीक सिद्ध हो तो वे उसे स्वीकार कर लेंगे। किन्तु सरकारने फिर भी जाँच-समिति नियुक्त नहीं की। इन स्थितियोंमें हम सरकारी लगान नहीं देंगे। यदि हम इस लड़ाईके द्वारा सरकारसे अपनी माँगें न मनवा सकें तो हम फिर कभी उसके सामने अपना सिर ऊँचा न उठा सकेंगे। मैं देखता हूँ कि आपके दुमंजिले मकान टूट-फूट रहे हैं। इसका कारण यह है कि आपके पास इनकी मरम्मतके लायक पैसा नहीं है। मैं इससे यह कल्पना कर सकता हूँ कि लोग कंगाल हो गये हैं। दुष्काल तो हमारे भाग्य में ही लिखे हैं। अन्न और कपड़ेकी महँगाई बेहद है। रोग इतने बढ़ गये हैं कि लोग लड़ाई न होनेपर भी अकालही कालके ग्रास हो रहे हैं। इस स्थितिमें मैंने खेड़ा जिलेके लोगोंको, जो आत्म-सम्मानका मूल्य जानते हैं, अन्याय और अत्याचारके कष्ट सहन करके न्याय प्राप्त करनेकी सलाह दी है। हम उद्धत होकर नहीं, वीर बनकर यह न्याय प्राप्त कर सकते हैं। हमारी लड़ाई ऐसी सीधी है कि उससे हमारा नीतिबल बढ़ेगा ही। इसलिए मैं आपसे आग्रहपूर्वक कहता हूँ कि आप सत्यका त्याग कदापि न करें। जिसे सत्यकी झलक मिल गई है, वह अपने प्रत्येक कदममें सत्य और नीतिपर ही चलेगा। आप अपने-अपने जीवन में शिष्टता और सत्यका समावेश करें। आप इस महान् संकटके समय एक होकर सरकारसे जूझें। आप लोगोंके लिए उन्नति करनेका यह उत्तम अवसर है।

मैं समस्त भाइयोंसे आग्रहपूर्वक कहता हूँ कि आप सब दृढ़ रहें। मैं बहनोंसे कहता हूँ कि आप अपने पतियों, भाइयों और पुत्रोंको हिम्मत बँधायें।

[गुजरातीसे]
खेड़ा सत्याग्रह