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२३९. भाषण: चिखोदरामें

अप्रैल १७, १९१८

पिछले सप्ताह मैं आप लोगों से मिलनेकी आशा करता था; किन्तु मैं कमिश्नरसे मिलने अहमदाबाद चला गया और फिर उनके बड़े अधिकारी श्री कारमाइकेलसे मिलनेके लिए बम्बई जाना पड़ा। इसलिए मैं अपनी आशाके अनुसार जल्दी नहीं आ सका। चिखोदरा और आसपासके दूसरे गाँवोंमें, जिनमें दयानन्द सरस्वतीका शासन चलता है, मैं और वल्लभभाई आप लोगोंको प्रोत्साहन देने नहीं, बल्कि आप लोगोंसे प्रोत्साहन पानेके लिए यहाँ आये हैं; दूसरे शब्दोंमें कहूँ आप लोगोंमें अग्नि प्रज्वलित करनेके लिए नहीं, बल्कि दिव्य प्रकाश पानेके लिए आये हैं। मुझे विश्वास है कि आप इस लड़ाई में अन्त तक टिके रहकर मेरी इस मान्यताको सत्य सिद्ध करेंगे।

भारतमें भूतकालमें जितने महान् आध्यात्मिक गुरु उत्पन्न हुए हैं, उनमें दयानन्द सरस्वतीका भी स्थान है। मुझे आशा है कि ऐसे महान् सद्गुरुका अनुयायी होनेसे इस गाँव में और आसपासके अन्य गाँवोंमें वेदोंका शुद्ध पाठ गूँज रहा होगा और लोगोंका आचरण वेदानुकूल होगा।

इसके अतिरिक्त मुझे आशा है कि इस गाँवमें और आसपासके गाँवोंमें यमों और नियमोंका पालन किया जाता होगा और उसके साथ शुद्ध स्वदेशी व्रत भी पाला जाता होगा। मुझे यह जानकर बहुत दुःख हुआ है कि चिखोदरा गाँवके लोग अपने गाँवका बुना हुआ कपड़ा नही पहनते, मिलोंका कपड़ा पहनते हैं। मैं आपमें से बहुतोंके कपड़े देखकर चकित होता हूँ। मैं देखता हूँ कि उनकी पोशाक मिलोंके कपड़ेसे बनी है; फिर चाहे वे मिलें देशी हों या विदेशी। मिलोंके बने कपड़ेमें पचहत्तर फीसदी विदेशी है, ऐसा मैं मानता हूँ। जिन मशीनोंसे यह कपड़ा बुना जाता है वे विदेशी हैं, और इसका पूरा लाभ दूसरे देशोंके मजदूरोंको मिलता है। जो लोग मिलोंका कपड़ा पहनते हैं उन्हें इतना सन्तोष हो सकता है कि इसको बनानेकी मजदूरी तो हमारे मिलके मजदूरोंके पास जाती है। किन्तु ये मजदूर अपनी खेती-बारी छोड़कर मिलोंमें काम करने आये हैं, इस बातको कम लोग ही सोचते हैं। इसलिए मेरी सलाह है कि इस गाँवमें और इसके आसपासके अन्य गाँवोंमें, जहाँ दयानन्द सरस्वतीका शासन चलता है, रहनेवाले लोग अपने गाँवमें बना कपड़ा पहनकर अपरिग्रह और अहिंसाके व्रतोंका पालन करें; स्वदेशी व्रतके पालनमें इन दोनों व्रतोंका पालन आ जाता है। स्वदेशी व्रतके पालनमें सत्याग्रहका मूलमन्त्र निहित है। उसका संक्षिप्त दिग्दर्शन कराने के बाद में प्रस्तुत विषयपर आता हूँ।

सरकारके अन्यायके विरुद्ध सत्याग्रहका आश्रय लेनेमें सत्य और अहिंसाका पालन करना बहुत जरूरी है। सरकार कानून है कि जहाँ फसल छः आनेसे कम हुई हो