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भाषण: चिखोदरामें

वहाँ सरकारको आधा लगान मुलतवी करना ही चाहिए। सरकार इस कानूनपर अमल करने से इनकार करती है और ऐसी कड़ी बातें कहती है: “इससे आपको कोई लाभ न होगा; बल्कि आपकी हानि ही होगी। लोग मालगुजारी कानूनके सम्बन्धम कुछ नहीं कह सकते।” सरकारका दावा है कि हम इस मामलेको न्यायालय या उच्च न्यायालयमें नहीं ले जा सकते। लोग कायदेके मुताबिक कलक्टरको प्रार्थनापत्र दें, यदि वह न माने तो कमिश्नरसे अपील करें और यदि कमिश्नर भी न माने तो वे गवर्नरके पास तक जा सकते हैं। किन्तु इस मामलेमें तो कमिश्नरने लोगोंको धमकियाँ देनेमें कोई कसर बाकी नहीं रखी है। इतना ही नहीं, बल्कि उन्होंने गवर्नरका यह पत्र भी मँगा लिया है कि वे स्वयं जो-कुछ करेंगे उसको गवर्नर ज्योंका-त्यों कायम रखेंगे। वे इस हद तक आगे जा चुके हैं। मैंने किसी हाकिमके हाथमें इतना निरंकुश अधिकार नहीं देखा है और न सुना है। हमारे राजा कई बार अन्याय करके लोगोंका सर्वस्व अपहृत कर लेते थे; किन्तु अंग्रेजोंके राज्यमें ऐसा किया जा सकता है, मुझे इसपर विश्वास नहीं होता। हमने कानूनकी मर्यादामें रहते हुए लगान न देनेका निश्चय किया है; इसमें सरकारके प्रति कोई अराजभक्ति नहीं है। हम तो कानूनको सादर मान्य करते हैं और चाहते हैं कि सरकारी हाकिम भी उस कानूनको मानें। मैं आपको सलाह देता हूँ कि तीस लाख तो क्या तीस करोड़की भी जमीन हो तो भी हमें उसे जब्त हो जाने देना चाहिए। हमारी यह लड़ाई सत्याग्रहकी लड़ाई है; इसलिए हमें इसे शुद्ध आत्मबलसे लड़ना चाहिए। इसका सार यही है कि हमारे ऊपर जो दुःख आयें उनको हम सहन कर लें। इसमें पूरा अहिंसा-धर्म आ जाता है, और इसी कारण हमारा यह युद्ध धर्मयुद्ध है। हम शासकोंको आतंकित करके नहीं, बल्कि उनकी न्याय-भावनाको जाग्रत करके जीतना चाहते हैं। ऐसा करनेसे हम राजद्रोही या अधर्मी नहीं ठहरते। हमारी लड़ाईकी नींव सत्यपर रखी गई है और हम दया, धर्म और नीतिके आधारपर सरकारसे न्यायकी आकांक्षा करते हैं। इस प्रकार हमारा कार्य पूर्णतः शुद्ध है। मुझे चिखोदराके भाइयों और बहनोंपर विश्वास है कि वे सभी सत्याग्रहका सच्चा अर्थ समझकर उसे ग्रहण करेंगे। दुःखोंके निवारणकी रामबाण औषध सत्याग्रहके अतिरिक्त अन्य कोई नहीं है। यदि आप इसका उपयोग करेंगे तो आपको ज्ञात होगा कि हमारे वर्तमान दुःखों और अन्य सभी दुःखोंके निवारणका सच्चा उपाय एक ही है। आपने जो लड़ाई आरम्भ की है उसमें आप अन्ततक टिके रहें। यदि आप ऐसा न करेंगे तो यही कहा जायेगा कि आपने धर्मका त्याग किया है। साथ ही भारतपर उसका प्रभाव बहुत बुरा होगा। इस लड़ाईसे हम खेड़ा जिलेकी सरकारको यह सूत्र समझायेंगे कि वह लोकमतकी अव हेलना करके शासन नहीं चला सकती। इस लड़ाईका सच्चा मर्म यही है। और इसे सार्थक करना आपके हाथमें है। आपने सत्यकी खातिर प्रतिज्ञा ली है। आप यदि रामायण पढ़ेंगे तो समझेंगे कि प्रतिज्ञाका मूल्य बहुत बड़ा है। अपनी प्रतिज्ञापर अटल रहनेवालेको मोक्ष मिल सकता है। चाहे जितने संकट आयें, आकाश-पाताल एक हो जाये; किन्तु आप अपनी प्रतिज्ञापर आरूढ़ रहें। मैं बहनोंसे इतना ही कहता हूँ कि चाहे आपके घरका सब साज-सामान चला जाये, आपके पशु चले जायें और जमीन चली

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