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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

जाये तो भी आप निराश न हों और प्रतिज्ञाके पालन में पुरुषोंका साथ दें। ईश्वर आपको इस प्रतिज्ञाके पालनकी सुबुद्धि दे।

[गुजरातीसे]
खेड़ा सत्याग्रह
 

२४०. भाषण: रासमें[१]

अप्रैल १८, १९१८

मैं और वल्लभभाई पिछले सप्ताह यहाँ आनेवाले थे; किन्तु मुझे बम्बई और अहमदाबाद जाना पड़ा अतः आ नहीं सके। इसके लिए आपसे क्षमा-प्रार्थी हूँ।

आजकी सख्त धूपको देखते हुए मैंने सहज ही पूछ लिया कि सभाकी जगह कितनी दूर है। मुझे बताया गया कि पास ही है; अतः मैंने पैदल चलकर ही आनेका निश्चय किया। किन्तु उन युवकोंने ऐसी व्यवस्था की कि मुझे धूप न लगे। निश्चय ही, यह मेरे प्रति आप भाइयोंके प्रेमका सूचक है। उनके इस सद्व्यवहारसे यह भी सार निकलता है कि मैंने आपको जो सलाह दी है वह आप सबको अच्छी लगी है। परन्तु आप जानते हैं कि मेरी इस सलाहसे न तो आप सुखकी नींद सो सकेंगे और न मैं ही। उसी प्रकार मेरे साथी कार्यकर्ता भी आरामसे नहीं बैठ सकते। इसके कारण उन्हें दुःख उठाना है, रातोंमें जागरण करना है और गाँव-गाँव भटकना है। यदि आपकी भैंसें कुर्क की जायें तो उन्हें आप कुर्क हो जाने दें, यदि आपके गहने जाते हों तो जाने दें और जमीनें जब्त की जाती हों तो उन्हें जब्त हो जाने दें। मेरी सलाह अच्छी है, इसीलिए आप उसे मानते हैं और इसी कारण आप मेरे ऊपर इतनी स्नेह-वर्षा करते हैं। मुझे इससे अपने मनमें बड़ी प्रसन्नता होती है। किन्तु इनके साथ-साथ मेरे ऊपर कितना दायित्व आता है और वह लड़ाई जमनेके साथ-साथ कितना बढ़ता जाता मुझे इसकी पूरी कल्पना है। यह प्रश्न अत्यन्त जटिल और गम्भीर है। किन्तु फिर भी मुझे अपने अन्तरकी गहराई में भी ऐसा नहीं लगता कि मुझे यह आन्दोलन वापस ले लेना चाहिए। ज्यों-ज्यों दिन बीतते जाते हैं और इस लड़ाईका सच्चा रूप निखरता आता है, त्यों-त्यों मुझे लगता है कि यदि मैंने खेड़ा जिलेके लोगोंको यह सलाह न दी होती तो मैं जनताके प्रति नमकहराम माना जाता और मैं गुजरातमें शान्तिपूर्वक बैठकर समाज और देशकी शुद्ध भावसे जो सेवा कर रहा हूँ, उसमें कोई त्रुटि है, ऐसा मुझे निरन्तर लगता रहता। इस अवसर पर मैंने आप सब बहनों और भाइयोंको जो सलाह दी है उससे आपका नैतिक स्तर ऊँचा होगा और उनकी उन्नति भी होगी एवं देश-भरमें खेड़ाके लोगोंका डंका बज जायेगा।

  1. गांधीजी और उनके साथी वोरसद ताल्लुकेके रास गाँवमें गये थे। वहाँ जो सभा हुई उसमें आसपास के गांवों के किसान बड़ी संख्या में आये थे।