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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

आपने इतना साहस दिखाया है; इसलिए मुझे आपसे कुछ कहना नहीं रहता। मैंने अभी-अभी आपसे कहा था कि मैं दिल्ली जानेवाला हूँ। मैं तो इस जिलेमें से निकलूँ ही नहीं, किन्तु इस लड़ाईके सम्बन्धमें ही मुझे दिल्ली जाना है। वाइसरायकी कार्यकारिणी परिषदकी बैठक होनेवाली है। इसमें इस बातपर विचार किया जायेगा कि यूरोपमें जो महायुद्ध चल रहा है, उसमें हम किस प्रकार सहायता दे सकते हैं। परिषद् कदाचित्इ स बातपर चर्चा की जायेगी कि सैनिक भर्ती अनिवार्य रहे या न रहे। यह सलाह भी दी जायेगी कि सरकारके साथ झगड़ा बन्द कर दिया जाये। किन्तु यह झगड़ा हमने अपनी ओरसे तो खड़ा नहीं किया है; यह तो हमारे गले पड़ गया है। मैं जिस बातको यहाँ कह रहा हूँ उसी बातको वहाँ भी कहूँगा। यह लड़ाई हमने अपनी ओरसे नहीं छेड़ी है; हमें लाचार होकर छेड़नी पड़ी है। मैं वाइसरायको यह बात कब कह सकता हूँ? जब आप मजबूत रहें और सच्चे सत्याग्रही बनें तभी।

हम हारेंगे तो नहीं। जमीनें जब्त होना असम्भव है, क्योंकि हमने अपराध तनिक भी नहीं किया है। जो मनुष्य सचाईके रास्तेपर चल रहा है उसे कौन रोक सकता है? यदि आपकी जमीनें जब्त भी कर ली जायें तो भी आप डरें नहीं, डिगें नहीं। हमने संकल्प कर लिया है कि हम इन जमीनोंको वापस लेंगे। आपको तो भारतकी लाज रखनी है। अब यह लड़ाई हमारे सम्मान और हमारी टेककी लड़ाई बन गई है। यह खेड़ा जिलेके वीर लोगोंकी जमीनों और प्रतिष्ठाको वापस लेने के लिए लड़ी जा रही है। इस कारण हमें अपनी जीवनचर्या शुद्ध कर लेनी चाहिए। हमें अपने आपसी झगड़ोंको खत्म कर देना चाहिए और विदेशी सरकारके अत्याचारका सामना करनेके लिए तैयार हो जाना चाहिए। हमें अपनी भीतरी और बाहरी व्यथाओंकी चिकित्सा सत्याग्रहकी रामबाण औषधसे करनी चाहिए।

बहनो, मैं आपसे यह कहता हूँ कि आप मर्दोको हिम्मत दें और प्राण जायें तो जायें किन्तु प्रतिज्ञा न जाये, सदा इस मन्त्रको याद रखें।

[गुजरातीसे]
खेड़ा सत्याग्रह

२४५. भाषण: सुणावमें

अप्रैल २२, १९१८

मैंने पालेज और सुणाव गाँवोंमें एक भेद देखा है; मेरे मनमें उसके सम्बन्धमें कुछ कहने की इच्छा हो रही है। मैंने जब पालेजमें प्रवेश किया तब वहाँ बैंड नहीं था; परन्तु उसके स्थान में झाँझ और पखावज थीं। झाँझ और पखावजकी झंकार सुनकर मुझे अपने बचपन के दिनोंकी याद आ गई। मुझे उनमें जो भक्तिकी भावना, मधुरता और कला दिखाई दी, वह बैंडमें नहीं दिखाई देती। बैंड विदेशी वस्तु है; झांझ और पखावज देशी हैं। बैंड नकल है, नव्य है; झाँझ और पखावज पुरातन। बैंडकी ध्वनि अंग्रेज लोगोंको चाहे अच्छी लगे; किन्तु मुझे तो वह अच्छी नहीं लगती। हमारे पूर्वजोंने ऐसे वाद्य खोजे हैं जो हमारे देशके लिए उपयुक्त हैं और हमारे लिए भी वे ही उपयुक्त हैं।