पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 14.pdf/३८३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३५१
पत्र: सर क्लॉड हिलको

सद्भाव दिखाएँ और अपनी शुभ वाणीसे उनकी जितनी सहायता कर सकें, करें। हम अविनयपूर्वक नहीं, बल्कि सरकारके हृदयमें सत्यको जाग्रत करके न्याय माँगते हैं। जबतक न्याय न मिलेगा तबतक ये लोग जूझते रहेंगे।[१]

[गुजरातीसे]
खेड़ा सत्याग्रह
 

२५०. पत्र: सर क्लॉड हिलको

सेंट स्टीफेन्स कॉलेज
दिल्ली
अप्रैल २६, १९१८

प्रिय सर क्लॉड हिल,

इस घटनापूर्ण सम्मेलन[२] द्वारा नियुक्त की जानेवाली समितियोंमें से किसीमें भी शामिल होने या मुख्य प्रस्ताव[३] पर बोलनेका सम्मान स्वीकार करनेसे मुझे इनकार करना पड़ा, इसका मुझे कम दुःख नहीं हुआ।

मेरा खयाल है कि सर्वाधिक शक्तिसम्पन्न नेताओंको इस सम्मेलनसे अलग रखा गया है, इसलिए वह ज्यादातर असफल ही रहेगा। श्री तिलक, श्रीमती बेसेंट और अली भाइयोंकी अनुपस्थितिसे सम्मेलनमें दरअसल कोई वजन नहीं रह गया है।[४] मुझे स्वीकार करना चाहिए कि आजकी बैठकमें हम लोग जो उपस्थित थे, उनमें से किसीका भी असर आम जनतापर उन नेताओंके बराबर नहीं है। उनको सम्मेलनमें बुलानेसे इनकार करनेका अर्थ यही निकलता है कि जिन लोगोंके हाथमें सरकारकी बागडोर है, उन लोगोंकी इच्छा अबतक अख्तियार किये गये रुखमें सचमुच कोई परिवर्तन करनेकी

  1. जब गांधीजी अपना भाषण समाप्त कर चुके तो लोकमान्य तिलकने खेड़ा जिलेके किसानोंके प्रति सहानुभूतिका प्रस्ताव पेश किया और यह माँग रखी कि सरकार या तो एक वर्षके लिए लगान मुलतवी कर दे या उनके कष्टोंकी जाँचके लिए एक निष्पक्ष जाँच-समिति नियुक्त करे। इसके बाद श्री वी० जी० हॉर्नीमैनने एक प्रस्ताव रखा जिसमें कमिश्नर श्री प्रैटके १२ अप्रैलके भाषण में अपनाये गये रुखकी निन्दा की गई।
  2. यह सम्मेलन लॉर्ड चैम्सफोर्डने बुलाया था।
  3. प्रस्ताव इस प्रकार था: “यह सम्मेलन महामहिम वाइसरायको यह अधिकार देता है और उनसे अनुरोध करता है कि वे परमविभव सम्राट तक उनके शालीनतापूर्ण सन्देशके प्रत्युत्तरमें भारतका कर्तव्य और निष्ठापूर्ण संकल्प पहुँचायें और साम्राज्यकी इस महान् संकटकी घड़ीमें अपने कर्त्तव्य-पथपर चलते रहनेके भारतके संकल्पसे उनको आश्वस्त करें।”
  4. तिलकको आमन्त्रित नहीं किया गया था, लेकिन गांधीजीने २६ अप्रैल और फिर २७ अप्रैलको वाइसरायसे मुलाकात करनेके बाद तिलकको सम्मेलनमें आनेके लिए तार दिया था। तिल्कने इस आधार पर कि सरकारने उनके विरुद्ध निष्कासनका आदेश रद नहीं किया है, आनेते इनकार कर दिया था। एनी बेसेंटको भी आमन्त्रित नहीं किया था और अली भाई तो जेलमें थे ही।