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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

लिखे पत्र[१]में बता दिये हैं। उस पत्रकी प्रति साथमें भेज रहा हूँ। पता नहीं, परमश्रेष्ठ अब भी मुझसे [अली] बन्धुओंके सम्बन्धमें मिलना पसन्द करेंगे या नहीं। २९ तारीख तक मैं दिल्ली में हूँ, लेकिन कहनेकी आवश्यकता नहीं कि यदि जरूरी हुआ तो मैं ज्यादा दिन भी ठहर सकता हूँ।

हृदयसे आपका,
मो० क० गांधी

[अंग्रेजीसे]

नेशनल आर्काइव्ज़ ऑफ इंडिया: होम, वार (डिपॉज़िट): अक्तूबर १९१८, संख्या २६

 

२५२. पत्र: जे० एल० मैफीको

सेंट स्टीफेन्स कॉलेज
दिल्ली
अप्रैल २७, १९१८

प्रिय श्री मैफी,

मैंने भय और कम्पनके साथ एक फर्जकी खातिर सम्मेलनमें भाग लेनेका निश्चय किया है। वाइसरायके साथ मुलाकात[२] करनेके बाद और फिर आपसे मिलनेके बाद मुझे लगता है कि मैं कुछ और नहीं कर सकता।[३]

हृदयसे आपका,
मो० क० गांधी

[अंग्रेजी से]

नेशनल आर्काइव्ज़ ऑफ इंडिया: होम, वार (डिपॉज़िट): अक्तूबर १९१८, संख्या २६

 
  1. पिछला शीर्षक।
  2. यह मुलाकात २७ अप्रैलको हुई थी।
  3. दूसरे दिन गांधीजीको मैफीका निम्नलिखित सन्देश मिला था: “न तो वाइसरायको और न मुझे ही आपके ‘भय और कम्पन’ पर विश्वास हुआ। वाइसरायको यह सुनकर वास्तव में बड़ी प्रसन्नता हुई है कि आप सम्मेलन में भाग लेंगे। मैंने सर क्लॉड हिलको सूचित कर दिया है कि आप जनशक्ति (मैन पावर कमेटी)की ११ बजे दोपहरको बैठकमें भाग लेंगे।”