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पत्र: जे० एल० मैफीको

नहीं है कि वे सहयोगका अनुमोदन करेंगे। यदि सरकार, मैंने प्रारम्भमें जो प्रार्थनाकी थी, उसे स्वीकार करे, तब तो वह अली भाइयोंको―युद्धकी दृष्टि से उठाये गये कदमके रूप में ही सही―रिहा करके तुरन्त हिन्दू-मुसलमान, दोनोंको तुष्ट कर दे सकती है। यह कार्रवाई सम्मेलनके उद्देश्योंके लिए बहुत सहायक सिद्ध होगी। लेकिन फिलहाल तो मैं उनसे मिलनेकी अनुमति पाकर ही सन्तुष्ट हो जाऊँगा। मेरा कहना केवल यह है कि उनको रिहा करना युद्धकी दृष्टिसे अपेक्षाकृत अधिक प्रभावकारी कार्य होगा। अलबत्ता, व्यक्तिशः तो मैं उनकी रिहाईका आग्रह करनेका अधिकार सुरक्षित रखूँगा ही।

दूसरी बात यह है कि मैं खेड़ाके झगड़ेके बारेमें राहत चाहता हूँ। यदि राहत दे दी गई तो अभी मैं जिस कार्यमें व्यस्त हूँ, उससे मुझे फुरसत मिल जायेगी। अन्यथा इस कार्यसे बिलकुल अलग होना मेरे लिए मुश्किल होगा। लेकिन अगर मुझे उससे फुरसत मिल गई तो मैं युद्ध के उद्देश्योंके लिए अपने खेड़ा जिलेके साथी कार्यकर्त्ताओंकी भी मदद ले सकूँगा, और उस जिलेमें मेरे लिए रंगरूट भरती करना भी सम्भव हो सकता है। वहाँ की समस्या तो बिलकुल आसान है। मैंने यह सुझाव दिया है कि इस सालके लिए लगान―जिसकी बकाया रकम अब शायद चार लाखसे कम रह गई है―मुलतवी कर दिया जाये, लेकिन इस उपबन्धके साथ कि जो लोग लगान अदा कर सकते हैं, वे अपने ईमानके अनुरोधपर उसे स्वेच्छापूर्वक अदा कर दें। यह तो मैंने पहले ही कह दिया है कि मैं पूरा प्रयत्न करूँगा कि समर्थ किसान अपना लगान चुका दें। यदि यह प्रस्ताव अस्वीकार्य हो तो मैंने अधिकारियों तथा किसानोंके बीचके मतभेदोंकी जाँच करनेके लिए एक निष्पक्ष जाँच-समिति नियुक्त करनेका भी सुझाव दिया है। मेरा निवेदन है कि इस मामलेमें भी युद्ध-स्तरीय उपायके रूपमें ही कार्रवाई की जाये। समिति नियुक्त कर देनेसे राहतके नजीर समझे जानेका भय जाता रहेगा।

कृपया यह समझ लें कि मेरा प्रस्ताव दोनों में से किसी भी मामले में राहतकी शर्त पर आधारित नहीं है। मैं केवल एक समान उद्देश्यके हितकी दृष्टिसे उक्त दो मामलोंमें राहतकी माँग करता हूँ।

जहाँतक मेरे कार्यकी बात है, मैं फिलहाल तो यह चाहूँगा कि देशका दौरा करके लोगोंको अपनी सेवाएँ प्रदान करनेकी वांछनीयता बताऊँ तथा यह जानकारी प्राप्त करूँ कि सफलताकी क्या सम्भावनाएँ हैं। और यदि मुझे यह काम करना है तो जिन क्षेत्रोंमें विशेषज्ञोंके विचारमें काम किया जाना चाहिए उनके बारेमें में विस्तृत जानकारी चाहूँगा तथा कामके स्वरूपके सम्बन्धमें भी कुछ निर्देशोंकी अपेक्षा रखूँगा। इनके अलावा, उनकी समझमें मेरे लिए यदि कोई और जानकारी रखनी आवश्यक हो तो उसे भी प्राप्त करना चाहूँगा।

यदि यह वांछनीय हो कि मैं इस सिलसिलेमें व्यक्तिगत रूपसे किसी अधिकारीसे मुलाकात करूँ या आपसे ही मिलूँ तो मैं शिमला आनेको तैयार हूँ। आप ४ मईके बाद मुझे जब भी बुलाना चाहेंगे, मैं तुरन्त आ जाऊँगा। मेरा पता नडियाद होगा।

मैं समझता हूँ, मुझे अपने पिछले कार्यों के बारेमें आपको कुछ बता ही देना चाहिए। मैं बोअर युद्धमें १,१०० व्यक्तियोंके भारतीय डोली-वाहक दलका मुखिया था और कॉलेजों,