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पत्र: सर विलियम विन्सेंटको

लीजिए। मेरी बड़ी इच्छा है कि ऐसा कुछ करूँ जिसे लॉर्ड चैम्सफोर्ड युद्ध-सम्बन्धी वास्तविक कार्य मानें। मैं सोचता हूँ कि आप मुझे अपना मुख्य भरती-अफसर बना दें, तो मैं आपपर भरती होनेवालोंकी वर्षा कर दूँ। मेरी इस धृष्टताके लिए क्षमा कीजिए।

कल वाइसराय बहुत थके हुए थे। तब भी वे भाषणोंको बड़े ध्यानसे सुन रहे थ, और यह देखकर मैं उनके प्रति गहरी सहानुभूतिका अनुभव कर रहा था। उनपर और उनके वफादार निष्ठावान् सचिव, आपपर ईश्वरकी कृपा रहे; वह आप दोनोंकी रक्षा करे। मेरा खयाल है कि आप उनके लिए सचिवसे कुछ अधिक ही हैं।

हृदयसे आपका,
मो० क० गांधी

पुनश्च―सेंट स्टीफेन्स कॉलेजके रेवरेंड श्री आयरलैंडने इस पत्रको आप तक पहुँचाना स्वीकार करनेकी कृपा की है।

मो० क० गांधी

[अंग्रेजीसे]

नेशनल आर्काइव्ज़ ऑफ इंडिया: होम, वार (डिपॉज़िट): अक्तूबर १९१८, संख्या २६

२५९. पत्र: सर विलियम विन्सेंटको

[नडियाद]
अप्रैल ३०, १९१८

प्रिय सर विलियम विन्सेंट,

रविवारको मैंने आपको परेशान किया। किन्तु मैं आपके उसी उद्देश्यको आगे बढ़ाने के लिए आपके पास आया था, जिसमें आप अपने-आपको खपा रहे हैं। मुझे आपसे इतना ही कहना था ली भाइयोंके छुटकारेसे फौजी भरतीके काममें बड़ी तेजी आ जायेगी। अगर मैं ऐसा न मानता होता, तो यह आशा रखना कि आप अपने समयमें से मुझे एक भी मिनट दें, मेरे लिए पापपूर्ण होता।

आपने मुझसे पूछा था कि क्या मैंने सरकारको एक भी रंगरूट भरती करके दिया? मैं कहना चाहता हूँ कि यह सवाल उचित नहीं था। ऐसा भी हो सकता है कि कोई व्यक्ति एक भी रंगरूट न लाये पर साम्राज्यकी सच्ची सेवा करता रहे।

मैं आशा रखता हूँ कि आप इस पत्रसे नाराज नहीं होंगे, किन्तु जिस मुलाकातको आपने जल्दी में गलत समझ लिया, उसकी ईमानदाराना सफाईके तौरपर आप इसे स्वीकार करेंगे।

[हृदयसे आपका,]

[अंग्रेजीसे]

महादेव देसाईकी हस्तलिखित डायरीसे।

सौजन्य: नारायण देसाई