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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

 

जब मैंने कांग्रेस-लीग योजनाकी मंजूरीका प्रस्ताव पढ़कर सुनाया, तब मेरी यह धारणा थी कि उसका समर्थन कोई अछूत करेगा। किन्तु यहाँ अछूत तो कोई है ही नहीं। तब इस प्रस्तावको पास करनेसे क्या फायदा? इस प्रस्तावका मॉण्टेग्यु पर क्या असर होगा? मैं इस प्रस्तावको पेश नहीं कर सकता। हमें यहाँ इस प्रस्तावको पास करनेका तनिक भी अधिकार नहीं है, इसलिए हम यहाँ यह प्रस्ताव नहीं रख सकते। हम अपनी कृत्रिमता छोड़कर सरल बन जायें, यही काफी है। हम वर्णाश्रम धर्मका पालन नहीं करते। ब्राह्मणोंने ब्राह्मणका धर्म छोड़ दिया है, क्षत्रियनें क्षत्रियका धर्म त्याग दिया है, वैश्योंने वैश्य-धर्मको तिलांजलि दे दी है; और जो चीज हमारे धर्ममें नहीं है, उसे हम पकड़े हुए हैं। हम स्वराज्यके योग्य नहीं हैं।

जो स्वराज्य माँगते हैं, वे अछूतोंके लिए क्या करेंगे, यह सवाल हमसे लॉर्ड सिडनहम जैसे भाई जरूर पूछेंगे और उसका उत्तर देते समय हमें शर्मिन्दा होना पड़ेगा। जो स्वराज्य माँग रहा हो, उसे दूसरोंको स्वराज्य देना चाहिए। जो न्याय माँगता है, उसे न्याय देना चाहिए, यह कानूनका सूत्र है। मैं आप सबसे कहता हूँ कि आप इस खेलको छोड़कर इस मध्यरात्रि में सच्चे हृदयसे प्रार्थना कर लीजिए, जिससे हमारे पाप और हमारी कठोरता नष्ट हो जाये।

[गुजरातीसे]
महादेवभाईनी डायरी, खण्ड ४
 

२६५. खेड़ा-संकटपर सरकारी प्रेस-विज्ञप्तिका उत्तर[१]

[अहमदाबाद]
मई ६, १९१८

खेड़ा-संकटपर जारी की गई सरकारी प्रेस-विज्ञप्ति,[२] उसमें जो कुछ नहीं कहा गया है उस दृष्टिसे भी और जो कुछ कहा गया उस दृष्टिसे भी, अत्यन्त दोषपूर्ण है। सर्वश्री पारेख और पटेल द्वारा की गयी जाँचसे सम्बन्धित अनुच्छेदके विषयमें मैं इतना ही कहना चाहता हूँ कि परमश्रेष्ठ गवर्नर महोदयसे मुलाकात के समय कमिश्नरने उनके वक्तव्योंकी सचाईमें सन्देह प्रकट किया। इसपर मैंने तुरन्त एक जाँच-समितिकी नियुक्तिका सुझाव पेश कर दिया। सचमुच, सरकारके लिए इससे उचित और कोई चीज हो ही नहीं सकती थी। यदि उसने ऐसा कर दिया होता तो काश्तकारोंको उनके दुधारू पशुओं और गहना-गाँठीसे वंचित करने तथा उनपर कुर्की-जब्तीके आदेश जारी करने जैसी अशोभन कानूनी कार्रवाइयोंकी नौबत न आती। किन्तु, जैसा कि प्रेस विज्ञप्तिमें कहा गया है, इसके बदले उसने एक “बहुत ही अनुभवी” कलक्टर नियुक्त कर दिया। बेचारा कलक्टर कर ही क्या सकता था? आज तो अच्छेसे-अच्छे अधिकारियोंको भी एक दूषित

  1. इस वक्तव्यका सारांश न्यू इंडियांक ६ मईके अंक में प्रकाशित हो चुका था।
  2. यह विज्ञप्ति २५ अप्रैलको जारी की गई थी।