पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 14.pdf/४०५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

 

२६६. भाषण: बम्बई प्रान्तीय सम्मेलनमें

[बीजापुर
मई ६, १९१८][१]

बम्बई प्रान्तीय सम्मेलनके दूसरे दिनकी बैठकमें महात्मा गांधीने गिरमिट प्रथापर अपने प्रस्तावके समर्थनमें बड़ा जोरदार भाषण दिया।

श्री गांधीने प्रस्ताव पेश किया कि:

इस सम्मेलनका दृढ़ मत है कि यदि गिरमिट प्रथाकी बुराइयोंको दूर करना है तो मजदूरोंको किसी भी रूपमें भरती करनेकी इस प्रथाको सम्पूर्णतः समाप्त कर देना होगा। यह प्रथा एक प्रकारकी गुलामी है जो मजदूरोंको सामाजिक तथा राजनीतिक दृष्टिसे नीचे गिराती है और इस देशके आर्थिक तथा नैतिक हितोंके मार्ग में बाधक है।

श्री गांधी हिन्दीमें बोले, और उन्होंने गिरमिट प्रथाके इतिहासपर संक्षेपमें प्रकाश डालते हुए उपनिवेशवासी भारतीयोंपर इसके पतनकारी प्रभावकी चर्चा की। उन्होंने यह भी बताया कि इसके चलते भारत और भारतीय यूरोपीयोंकी नजरोंमें किस प्रकार गिर गये हैं। इस सवालपर आन्तर्-विभागीय समितिको सिफारिशोंकी आलोचना करते हुए उन्होंने जोरदार ढंगसे कहा कि इस प्रथाको सदाके लिए समाप्त कर देना चाहिए, और ऐसा करते हुए किसी प्रकारकी कसर-मुरौबत न की जाये।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, ८-५-१९१८
 

२६७. भाषण: अन्त्यज सम्मेलनमें

बीजापुर
मई ६, १९१८

मैंने एक गम्भीर भूल की है। एक मित्रने आकर मुझसे कहा कि बीजापुरमें दो दल हैं और मैं व्यर्थ ही यहाँ गड़बड़ पैदा कर रहा हूँ। मुझे सही हालतका पता नहीं था। यहाँ मैं फूटके बीज बोने और दोनों पक्षोंकी भावनाओंको भड़काने नहीं आया।

लोकमान्य तिलकको मुझे और आपको रास्ता दिखानेके लिए यहाँ आना चाहिए था। राजनीतिके क्षेत्रमें तो मैं तीन वर्षके बच्चेके समान हूँ। मुझे तो अभी सब-कुछ देखना, सोचना और सीखना है। इसलिए मैंने कोई विक्षोभ पैदा किया हो, तो उसके लिए मैं आपसे माफी माँगता हूँ। सार्वजनिक सभाओंमें मनुष्य अपने विचार खुले दिलसे

  1. बॉम्बे सीक्रेट एब्स्ट्रैक्ट्स के अनुसार सम्मेलनका अधिवेशन बीजापुर में ५ मईसे ८ मई तक चला। अध्यक्षता विटठलभाई पटेलने की।