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पत्र: रामभाऊ गोगटेको
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आये तो हमारा यह काम नहीं है कि हम अपने जेवर या अपने बर्तन उसके सामने रख दें। उसके हाथमें कोई चीज पड़ जाये तो हम शान्त रहें और डरें नहीं। तराजू के एक पलड़े में सत्य और न्याय है, दूसरेमें है पैसा। यह सब आप लोगोंको समझ लेना चाहिए।

यह लड़ाई स्वराज्यकी है। हम आशा करते हैं कि स्वराज्य हमें मिल जायेगा किन्तु निर्बल प्रजाके हाथमें स्वराज्य किस कामका। किसी मुर्देके हाथमें तलवार दे दें या उसके पास अन्नका ढेर लगा दें या पैसा रखें तो वह किस कामका। वह इनमें से किसी भी चीजका उपयोग तो कर नहीं सकता। इसी प्रकार निकम्मा आदमी जो अपनी प्रतिज्ञा निबाहना नहीं जानता कुछ नहीं कर सकता। ‘गीता’ में कहा गया है कि जो यज्ञ किये बिना खाता है वह चोर है। यज्ञका अर्थ है कि हमारा यह शरीर प्रजाकी अर्थात् प्रभुकी सेवाके लिए है। लोक-कल्याणके लिए उसकी आहुति देना― यही सच्चा यज्ञ है। जिस प्रजाने इस मन्त्रको समझ लिया है उसके ऊपर कोई सत्ता अत्याचार कर ही नहीं सकती। यदि इसका रहस्य हमारे लहूमें मिल जाये तो समझो कि दुनियामें हमने सब-कुछ जीत लिया। सत्याग्रह दिव्यास्त्र है। वह उसी मनुष्यके हाथमें शोभा पाता है जिसमें साहस और पौरुष है। यदि हम इस बातको समझ लें और उसके अनुसार आचरण करें तो कहा जायेगा कि यह भारत कायरोंकी नहीं बल्कि ३३ करोड़ देवताओंकी भूमि है।[१]

[गुजरातीसे]
खेड़ा सत्याग्रह
 

२७६. पत्र: रामभाऊ गोगटेको

सत्याग्रह आश्रम
साबरमती
वैशाख सुदी ६ [मई १७, १९१८]

भाईश्री रामभाऊ गोगटे,

भाई कोतवालकी बहन अभी आना चाहें तो आ सकती हैं। लेकिन इस समय यहाँ इतनी भारी गरमी पड़ रही है कि इन्दौर-जैसे स्थानमें रहनेवाले व्यक्तिको वह भयंकर मालूम होगी। इसलिए मेरी राय है कि वे १५ जूनके बाद आयें। उसके बाद बरसात शुरू हो जायेगी और हवा भी कुछ ठंडी हो जायेगी और कुछ नहीं तो उसमें कमसे-कम कुछ नमी तो आ ही जायेगी। अभी तो निरी लू चलती है और गरम हवा साँय-साँय करती है। जब वे यहाँ आयेंगी, बा यहीं होगी और उन्हें बाका साथ

 
  1. भाषणकी इस रिपोर्टको बॉम्बे क्रॉनिकल में प्रकाशित अंग्रेजी रिपोर्टसे मिला लिया गया है।