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२८२. भाषण: खंडालीमें[१]

[मई २७, १९१८]

खंडालीके स्त्री-पुरुषोंने बड़ा शौर्य और साहस दिखाया। किन्तु...जिस प्रकार नदीमें बाढ़ आ जानेपर हम बाढ़के फाजिल पानीका उपयोग नहीं कर सकते और वह व्यर्थ ही समुद्रमें वह जाता है, ठीक ऐसे ही आप लोगोंका बहुत-सा शौर्य और साहस भी व्यर्थ ही नष्ट हो जाता है। एक सरकारी कर्मचारी एक स्त्रीको सम्पत्ति जब्त करने गया तो उसनैं अपनी भैंस खोलकर भगा दी। उसका ऐसा करना एक बड़ी गलती थी। इसी प्रकार उस सरकारी कर्मचारीने भी बड़ी भारी गलती की; उसने उस स्त्रीको अपनी छतरीसे मारा। [सरकार भले ही गलती करे] किन्तु आप लोगोंको ऐसी गलतियाँ नहीं करनी चाहिए। सच्चा सत्याग्रही ऐसा नहीं कर सकता। सत्याग्रहके किसी भी संघर्ष में सर्वप्रथम कर्त्तव्य सत्यपर दृढ़ रहना है। यदि हम सत्यकी बहुत ही सूक्ष्म परिभाषा करें तो उसका क्षेत्र बहुत विस्तृत हो जाता है। किन्तु प्रायः हमारी सत्यकी परिभाषा कुछ संकुचित होती है इसलिए हमें मजबूरन उसमें कुछ बातें जोड़नी पड़ती हैं। [हमें स्पष्ट करना पड़ता है कि] इस संघर्ष में हमें न किसीका विरोध करना है, न किसीको बुरा-भला कहना है। यदि विरोधी हमें गालियाँ देता है, तो हमें वे सहनी होंगी। यदि वह हमपर लाठी चलाता है, तो बदलेमें लाठी चलाये बिना हमें उसे भी सहना होगा।

दूसरी बात यह है कि सत्याग्रहीको निर्भय होना है। उसे केवल अपने कर्त्तव्यका पालन करना है। आप जानते हैं कि जबतक हम सत्यपर दृढ़ हैं तबतक हम भयसे सर्वथा मुक्त हैं। यदि हमारा व्यवहार सरल होगा तो हम सदा सुरक्षित हैं। जब हम गलतीपर होते हैं तभी हमें अपने विषय में चिन्ता हो जाती है। जिन लोगोंने अपराध किया है वे गाँवसे भाग गये हैं। किन्तु सत्याग्रहका संघर्ष करते हुए आप लोगोंको भागना नहीं पड़ा। हमेशा सत्यपर दृढ़ रहो, शरारत कभी मत करो। सत्याग्रही जो अपराध करता है, उसके लिए तो वह हमेशा कारावास या हुक्मनामे [वारंट] का स्वागत करता है। यदि उसने कोई अपराध न भी किया हो तो भी उसे इसका स्वागत करना चाहिए। यदि अपराध न करनेपर भी उसे न्यायालय में अपराधी सिद्ध किया जाता है, तो क्या हुआ? सरकारका इस शरीरपर अधिकार है, आत्मापर नहीं। आत्मापर प्रेमसे ही विजय प्राप्त की जा सकती है। सत्याग्रही इस बातको समझता है और इसलिए चाहे उसने अपराध किया हो या नहीं, वह निर्भय रहता है। जो सज्जन गैरकानूनी तौरपर अपने मवेशी हटाकर ले गये हैं, मुझे आशा है, वे अपनी गलती स्वीकार कर लेंगे और दिलेरीके साथ कहेंगे कि

  1. मोतीहारीसे लौटनेके बाद गांधीजी, मातर ताल्लुके में सार्वजनिक सभामें सत्याग्रहके महत्वपर भाषण दिया।