पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 14.pdf/४४०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

 

२९६. पत्र: जी० ए० नटेसनको

बम्बई
जून १३, [१९१८]

प्रिय श्री नटेसन,

इस पत्रके पहुँचनेसे पहले मेरा पुत्र देवदास आपके पास पहुँच जायेगा। मैं चाहता हूँ, जबतक वह वहाँ रहे, आपके साथ आपके परिवारके सदस्यके रूपमें रहे। यदि यह आपके लिए असुविधाजनक हो तो आप वैसा कहने में संकोच न करेंगे। मैं नहीं चाहता कि वह किसी गुजराती परिवारके साथ रहे। उसे किसी तमिल परिवारके साथ ही रहना चाहिए। उसे तमिल सीखनी है और हिन्दी पढ़ानी है। मैंने उसे भारतीय सेवा संघ [इंडियन सर्विस लीग] की माँगपर भेजा है। मैंने देवदासको कुम्बकोणम् भेजना स्वीकार कर लिया है और उसका अन्तिम लक्ष्य वहीं जाकर रहना है। किन्तु, चूँकि कुम्बकोणम्के मित्र उसे जुलाईसे पहले बुलानेको तैयार नहीं हैं, इसलिए मैंने सोचा, उसे भारतीय सेवा संघमें कुछ कार्य आरम्भ कर देना चाहिए। मैंने देवदासको ३० रुपये दिये हैं। वहाँ पहुँचनेपर उसके पास १५ रु० बच रहेंगे। यदि उसे कुछ नकदकी आवश्यकता हो तो कृपया वह उसे दे दें और मेरे नाम चढ़ा दें । मैं जानता हूँ, आप ऐसा नहीं करते। लेकिन क्या ही अच्छा हो कि आप देवदाससे ही यह शुभ कार्य शुरू कर दें। आपके इनकार करनेपर मुझे यहाँसे रुपये भेजने पड़ेंगे। ऐसा अवसर आनेपर हरबार में आपको ही सारा भार उठाने नहीं दूँगा।

हृदयसे आपका,
मो० क० गांधी

गांधीजी के स्वाक्षरोंमें मूल अंग्रेजी पत्र (जी० एन० २२२७) की फोटो-नकलसे।

 

२९७. भाषण: बम्बईको सभामें[१]

जून १६, १९१८

इस महत्त्वपूर्ण और विराट् सभाकी अध्यक्षता करनेका निमन्त्रण स्वीकार करते समय मेरे मन में बहुत-कुछ हिचकिचाहट थी। हम लोग यहाँ, १० जूनको टाउन हॉलमें युद्ध-सम्मेलनकी अध्यक्षता करते हुए परमश्रेष्ठ लॉर्ड विलिंग्डनने जो व्यवहार किया था, उसका

  1. यह सभा सन्ध्याके समय बम्बईके केन्द्र गिरगाँवकी शान्ताराम चालमें की गई थी। गांधीजी अध्यक्ष थे। इसमें लगभग १२ हजार व्यक्तियोंने भाग लिया। प्रान्तीय युद्ध-सम्मेलनको बैठकके अवसर पर होमरूल लीगके नेताओंके सम्बन्ध में गवर्नरने अपने भाषण में जो रोपोत्पादक बातें कही थीं, यह सभा उसके विरोध में आयोजित की गई थी। इस सभामें दो प्रस्ताव पास किये गये थे। देखिए अगला शीर्षक। जिस दिन यह सभा बुलाई गई थी, वह दिन ‘होमरूल दिवस’ के रूप में मनाया जा रहा था।