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सम्पूर्ण गाधी वाङ्मय

नगी नहीं है तो वे बेकार हैं। आगामी वर्ष उनकी परीक्षाका वर्ष है। इसमें वे रचनात्मक कार्यमें वैसी ही योग्यता और क्षमता दिखायें जैसी वे ध्वंसात्मक-कार्य में दिखाते रहे हैं। और तब इस दिन को भारत के कोने-कोने में सभी मनायेंगे।

[अंग्रेजीसे]
बॉम्बे क्रॉनिकल, १७-६-१९१८
 

२९८. पत्र: शंकरलाल बैंकरको

जून १६, १९१८

[भाईश्री शंकरलाल,]

आपका पत्र मिला। मैं यह हरगिज नहीं कहता कि आप लीगको [१] छोड़ दें और मेरे साथ काम करें। बल्कि यह चाहता हूँ कि आप लीगमें रहें और लीगकी नीतिका ठीक दिशामें संचालन भी करें। आपको तो जो स्थिति है, वही ठीक मालूम होती है। मुझे अब वह भयानक प्रतीत होती है। यदि लीग रंगरूट भरती करनेके काममें भाग न लेगी तो उसका यह आचरण बम्बईके प्रस्तावका विरोध करनेके समान होगा। यदि लीगके सब सदस्य यह मानते हों कि लीगमें रहकर भरतीके काममें भाग नहीं लिया जा सकता, तो बम्बईके प्रस्तावको [२] स्वीकार करना और मुझे अध्यक्ष पदपर बिठाना उचित नहीं था। मुझे सहन करके लीगने यह तो बता ही दिया कि जिसे भरतीका काम करना हो, वह कर सकता है।

मेरा विश्वास मात्र अंग्रेज जातिमें ही हो, यह बात नहीं है, बल्कि मानव-जातिके स्वभावमें है। प्रत्येक मनुष्यमें कुछ-न-कुछ सचाईका अंश रहता ही है। उसको पोषण देना हमारा काम है। ऐसा करते हुए वह हमें धोखा दे, तो इसका बुरा परिणाम वही भोगेगा, हम नहीं।

यह तो निश्चित समझें कि लोगोंकी स्थिति वैसी नहीं है, जैसी आप समझते हैं।

जब मिलेंगे, तब अधिक स्पष्टीकरण करूँगा। मैं मानता हूँ कि भारतमें लीगके सदस्योंका कर्त्तव्य यह है कि वे इस कार्य में जुट जायें। इसके साथ-साथ आप सरकारके अनुचित कार्योंके बारे में जो आन्दोलन करना चाहें, करें। ऐसा करेंगे, तो दोनों कार्य सिद्ध होंगे। यदि होमरूल लीग भरती के सम्बन्ध में कुछ भी न करेगी तो उसे भारी धक्का लगेगा...।[३]

मोहनदासके वन्देमातरम्

[गुजरातीसे]
महादेवभाईनी डायरी, खण्ड ४
  1. होमरूल लीग।
  2. देखिए अगला शीर्षक।
  3. मूलमें यहाँ कुछ शब्द छूटे हुए हैं।