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२९९. तार: ब्रिटेनके प्रधान मन्त्रीको[१]

बम्बई
[जून १६, १९१८ के बाद]

गत १६ जूनको बम्बईकी होमरूल लीगके तत्त्वावधान में आयोजित सार्वजनिक सभामें स्वीकृत निम्न प्रस्ताव आपकी सेवामें भेज रहा हूँ।

पहला प्रस्ताव

बम्बईके गवर्नरने होमरूल लीगके सदस्योंकी साम्राज्यकी सहायता करनेकी इच्छा और नेकनीयतीपर शक करके और इस प्रकार सम्राट्के प्रति उनकी वफादारीपर भी शक करके उसके प्राय: सभी सदस्योंका जो सार्वजनिक अपमान किया है, बम्बईके नागरिकोंकी सभा उसका विरोध करती है। बम्बईके गवर्नर महोदयने होमरूल लीगके नेताओंको युद्ध-सम्मेलनमें बुलाकर उनके साथ दुर्व्यवहार किया है। उन्होंने सम्मेलन को प्रारम्भ करते समय दिये गये अपने भाषण में होमरूल लीगके नेताओंपर आक्षेप किये और उन्हें अपनी स्थिति स्पष्ट करनेका अवसर भी नहीं दिया। यह सभा उनके इस व्यवहारका विरोध विशेष रूपसे करती है। यह सभा परमश्रेष्ठ गवर्नरसे यह माँग करती है कि उन्होंने होमरूल लीगों तथा उनके सदस्योंपर जो आक्षेप किये हैं वे उन्हें वापस लें और अपने व्यवहारके लिए क्षमा-याचना करें। यदि वे ऐसा न करें तो यह सभा परमश्रेष्ठ वाइसरायसे अपील करती है कि वे बम्बईके गर्वनरके वक्तव्यका खण्डन करें। यह सभा यह भी निवेदन करती है कि इस प्रकारकी उत्तेजनात्मक भाषाका प्रयोग करनेसे सरकारको दिये जानेवाले हार्दिक सहयोगमें बाधा पड़नेकी सम्भावना है; अतः जबतक वे शब्द वापस नहीं लिए जायेंगे तबतक होमरूल लीगके सदस्य युद्ध-सम्मेलनकी ऐसी किसी भी सभामें भाग न ले सकेंगे जिसकी अध्यक्षता परमश्रेष्ठ करेंगे, परन्तु वे अपने देश और साम्राज्यकी सहायता इस संकटमय कालमें करते हुए अपने कर्त्तव्यका पालन अवश्य करेंगे।

दूसरा प्रस्ताव

इस सभाका खयाल है कि सरकारने इस युद्धके लिए भारतमें सामान और सिपाही जुटाने के उद्देश्यसे जिन तरीकोंको अपनाया है और जो कदम उठाये हैं वे ऐसे नहीं हैं कि उनसे अधिकसे-अधिक लाभ उठाया जा सके। इसका एक कारण यह है कि सरकार इस महान्

  1. जून १६ को सार्वजनिक सभामें पास किये गये प्रस्तावोंकी सूचना भारत-मन्त्री और वाइसरायको भी दी गई थी