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भाषण: नडियादमें

हमें स्वराज्य दे दें। मेरा विश्वास तो यह है कि जबतक हम सैनिक परम्पराओंको नहीं अपनाते तबतक हम देशको नहीं बचा सकते। हमें कुछ समय बीतनेपर स्वराज्य मिल ही जायेगा। वह हमारी सहायताका निश्चित परिणाम होगा। लड़ाईके मोर्चोंपर काम करनेके लिए भारतसे एक वर्षम पाँच लाख आदमी चाहिए और अगर हम इतने आदमी फौजमें न दे पाये तो सरकार उन्हें स्वयं भरती करेगी और तब यह सेना सरकारी सेना कही जायेगी। परन्तु अगर हमने ही इतने आदमी दे दिये तो वह राष्ट्रीय सेना कही जायेगी। सेनाम आज जो नियम और उपनियम चालू हैं वे ही हमारे द्वारा भरती की गई सेनापर भी लागू होंगे। सैनिक शक्तिके अभावमें स्वराज्य व्यर्थ होगा और उसे प्राप्त करनेका यही सर्वोत्तम अवसर है। इसलिए हमें उसे हाथसे नहीं जाने देना चाहिए। मैंने इस सम्बन्धमें श्री तिलक, श्रीमती एनी बेसेंट, पं० मदनमोहन मालवीय तथा पं० मोतीलाल नेहरूसे बातचीत की है। उन सबकी यह एक राय है। वे इस विचारको अच्छा अवश्य मानते हैं, परन्तु उन्हें अन्देशा है कि किसान इस विचारको स्वीकार न करेंगे। में किसानोंमें विश्वास रखता हूँ। प्लेग और हैजसे हजारों आदमी मर गये। फिर लड़ाईमें मरना कोई कठिन कार्य नहीं है। अगर लोग आगे आयें तो में लड़ाई में जानेके लिए तैयार हूँ। मैं होमरूल लीगका सदस्य नहीं हूँ। सैनिक शिक्षा पाना स्वराज्यकी दिशामें एक सहायक कदम है, इसलिए होमरूल लीगके प्रत्येक सदस्यको फौजमें भरती होना चाहिए। यह अफवाह फैली हुई है कि मोर्चेपर भारतीय सैनिक अगली पंक्तिमें रखे जाते हैं और वे मारे जाते हैं। मैं इस अफवाहमें विश्वास नहीं करता।अंग्रेजोंकी कौम लड़नेवाली कौम है, इसलिए मैं यह नहीं मान सकता कि वे दूसरोंको आगे रखकर स्वयं पीछेकी पंक्तियोंमें रहेंगे। किन्तु अगर कभी ऐसा होगा तो मैं स्वयं आपत्ति करूँगा। और जबतक में मार न डाला जाऊँ तबतक अपने सब लोगोंको इस तरह न मरने दूँगा। मैं राष्ट्रीय सेनामें भरती होनेकी बात समस्त देशके सामने रखने से पहले खेड़ा जिलेके लोगोंसे, जो सत्याग्रही बने हैं, अपील करना चाहता हूँ। नडियाद खेड़ा जिलेका महत्त्वपूर्ण कसबा है; इसीलिए मैंने आप लोगोंको खानगी तौरपर यहाँ बुलाया है। यदि आप लोग सहमत होंगे तो काम हाथमें ले लिया जायेगा। इसलिए आप खूब सोच-विचार लें और उसके बाद फौजमें भरती हों। अगर मुझे विश्वास हो गया तो वो या तीन दिनोंमें एक सार्वजनिक सभा बुलाई जायेगी।

[अंग्रेजीसे]
बॉम्बे गवर्नमेंट रेकर्ड्स, १९१८
 
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