पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 14.pdf/४५०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

 

३०१. पत्र: जमनालाल बजाजको

साबरमती
जेठ सुदी १०, [जून १९, १९१८]

भाईश्री जमनालालजी,

आपके आदमीको टिकटके पैसे मैंने आग्रहपूर्वक चुकाये हैं। अगर मैं ऐसा न करूँ तो आपको बिना संकोचके दूसरे काम न सौंप सकूँ।

यहाँ आकर इमारती कामका हिसाब जाँचा। मेरे पास २८,००० रुपये आये हैं। ४०,००० रुपये खर्च हो गये। अतिरिक्त खर्च आश्रमके दूसरे कामोंके लिए जो रकम मिली उसमें से हुआ है। मेरी असली जरूरत अभी तो मकान आदि बनाने के लिए [रुपयों की] है। एक लाखका खर्च है। इसके लिए कुछ भेजनेकी आपकी इच्छा हो तो भेजिएगा।

मोहनदासके वन्देमातरम्

[पुनश्च:]

मेरी यात्राका खर्चा उठाने के बजाय खास जरूरत यह है।

मोहनदास

गांधीजी के स्वाक्षरोंमें मूल गुजराती प्रति (जी० एन० २१९९) की फोटो-नकलसे।

 

३०२. भाषण: नडियादमें[१]

जून २१, १९१८

भाइयो और बहनो,

मुझे आज यह देखकर खेद होता है कि यहाँ बहनें अधिक नहीं आई हैं। मुझे जो कहना है वह भाइयों और बहनों दोनोंसे कहना है। मैं उपदेश देने नहीं आया; लेकिन मुझे जो बात अच्छी लगती है उसकी सलाह देने आया हूँ। इस सम्बन्धमें नडियादकी यह सभा गुजरातमें पहली सभा है। सत्याग्रहके सम्बन्धमें भी पहली सभा नडियादमें ही हुई थी। सत्याग्रहके इस संघर्ष में हमने बहुत अधिक शक्ति और सहनशीलता दिखाई है। मैं इस संघर्षसे लोगोंके निकट सम्पर्कमें आया हूँ। इससे मुझे ऐसा लगा कि मैं जो बात समस्त भारतसे कहना चाहता हूँ, उसे मुझे यहींसे आरम्भ करना चाहिए।

हम सरकारसे भिड़े, हमने उससे कड़वी और तीखी बातें कहीं, यह सब उचित था। लेकिन हम वैसा करनेके अधिकारी थे या नहीं, यह बतानेका अवसर हमें अब

  1. सेनामें भरती करानेके सिलसिले में यह सार्वजनिक सभा मुगल कोटीवाढी, गुजरात में हुई थी। इसमें लगभग एक हजार लोगोंने भाग लिया था।