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भाषण: नडियादमें

आज ही कर सकते हैं। किन्तु साथ ही उसके ऊपर जो संकट आया है उसके निवारणार्थ सहायता करनेमें हमें तनिक भी कसर नहीं रखनी चाहिए।

और फिर साम्राज्यकी मदद करते हुए हम सैनिक अनुशासन सीखेंगे। उससे हमें सैनिक-अनुभव मिलेगा और हममें अपना बचाव करनेकी शक्ति आयेगी। यदि साम्राज्य हमसे विश्वासघात करे तो हम इस प्राप्त शक्तिकी सहायतासे उसका विरोध कर सकते हैं। साम्राज्यके अधिकारी इस बातको जानते हैं। इसलिए, हमें सेनामें भरती करनेसे उनकी नेकनीयती साबित होती है। हमारा इस समय सेना तैयार करना भविष्यमें खतरोंके विरुद्ध बीमा करानेके समान है।

अंग्रेजोंमें राज्य करनेकी शक्ति है, यह केवल उनके पशुबलके ही कारण नहीं है। उनमें कला है, कौशल है, दूरदर्शिता है, चतुराई है और बुद्धिमत्ता है। उन्हें लोगोंसे यथायोग्य व्यवहार करना आता है। वे जानते हैं कि हम स्वराज्य मिलनेकी आशासे मदद करते हैं। उनके दृष्टिकोणमें और हममें से कुछ लोगोंके दृष्टिकोणमें यह भेद है। हम कहते हैं, हमें स्वराज्य दे दो तब हम लड़ेंगे। उनका कहना है, हम किसीके दबाव में नहीं आते। तुम मदद करो और तुम्हें स्वराज्य मिल जायेगा। हमारा इतिहास देखो। बोअरोंको स्वराज्य मिला क्योंकि वे हमसे लड़नेके योग्य थे। तुम भी लड़नेके योग्य बनो। तब तुमको भी स्वराज्य मिल जायेगा।

हमारी सच्ची शक्ति सैनिक-शक्तिपर ही निर्भर है। इस समय जो भारतीय लड़ रहे हैं, वे हमारी शक्ति नहीं बढ़ाते, सरकारकी शक्ति बढ़ाते हैं। यदि स्वराज्यके अभिलाषी हम लोग उनके समान सैनिक बन जायेंगे और मृत्युका भय त्याग देंगे तो हम राष्ट्रीय सेनाके सैनिक होंगे। ऐसा होनेपर सरकार और हमारे बीच ऊँच-नीचका भेद नहीं रहेगा।

श्री मॉण्टेग्युकी योजना थोड़े ही दिनोंमें प्रकाशित कर दी जायेगी।[१] वह योजना या तो हमारी पसन्दकी होगी; और यदि पसन्दकी न होगी तो हम उसमें संशोधन परिवर्धन कराना चाहेंगे। योजना कैसी होगी या हम उसमें कैसे संशोधन परिवर्धन करा सकेंगे, यह सब हमारे ऊपर निर्भर करता है। ऐसे समयमें यदि यह खबर इंग्लैंड पहुँचेगी कि सारा भारत सेनामें भरती होनेके लिए तैयार है तो ब्रिटिश लोकसभा इसका स्वागत करेगी और हमारी जो माँगें उचित होंगी उन्हें पूरा करेगी, और यदि वह पूरा न भी करे तो भी क्या होता है? उसपर ब्रिटिश लोकसभाको पछताना पड़ेगा। युद्धके लिए सन्नद्ध भारतीय अपनी स्वतन्त्रता एक क्षणमें प्राप्त कर सकते हैं। लेकिन सरकार इतनी मुर्ख नहीं है। अंग्रेज वीर जातिके लोग हैं। वे वीरताको पहचानेंगे। हम अपनी सोई हुई वीरताको जाग्रत करें तो सब-कुछ आज ही प्राप्त कर सकते हैं। इसलिए मेरा आप सबसे अनुरोध है कि समस्त संशयोंको छोड़कर आप सेनामें भरती हों। मुझे इस बातका

 
  1. संवैधानिक सुधारोंपर मॉण्टेग्यु-चैम्सफोर्ट रिपोर्ट जुलाई ९, १९१८को प्रकाशित हुई थी।