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भाषण: अहमदाबादमें

करनेकी जरूरत है। जबतक ऐसा न किया जायेगा, तबतक लीगकी सेवा-शक्तिका विकास न होगा। अगर आप लीगमें इसलिए शामिल हों कि उसे सेवाकी ओर मोड़ा जाये तो अवश्य ही जाएँ। परन्तु लीगके सदस्य यह न चाहेंगे कि आप उसमें छोटे-बड़े सबसे टक्कर लेनेके लिए शामिल हों। किसी संस्थामें उसे तोड़नेकी नीयतसे शामिल होना तो स्पष्ट द्रोह ही होगा। स्वास्थ्य-रक्षाकी कला सीख लेंगे, तो भी देशकी बड़ी सेवा होगी।

वल्लभभाईका नया धंधा कैसा लगता है? “रिक्रूटिंग सार्जेन्ट” बन गये हैं।

मोहनदास के वन्देमातरम्

[गुजरातीसे]
महादेवभाईनी डायरी, खण्ड ४
 

३१२. भाषण: अहमदाबादम

जून २४, १९१८

इस सभाको क्या काम करना है यह आप सब जानते हैं। आप यह भी जानते हैं कि परमश्रेष्ठ गवर्नरने युद्ध-सम्मेलनमें ‘होमरूल’ लीगके सदस्योंका अपमान किया था और बम्बईके लोगोंने उसका विरोध किया था। बम्बईको सभामें भी मैं ही अध्यक्ष था। मैं इस सम्बन्धमें अपने विचार वहाँ व्यक्त कर चुका हूँ। इसलिए में आपका अधिक समय नहीं लूँगा। इस सभाको दो काम करने हैं। एक काम है, बम्बईमें किये गये विरोधका समर्थन करना और दूसरा जो लोग समाचारपत्र नहीं पढ़ते उनके सामने वस्तुस्थिति रखना तथा जो समाचारपत्र पढ़ते भी हैं उनको भी सच्ची बात बताना क्योंकि समाचारपत्रोंमें दिये गये विवरण अनेक बार अधूरे और झूठे होते हैं। गवर्नर महोदय के सम्मुख युद्ध-सम्मेलनमें श्रीयुत तिलक और अन्य स्वराज्यवादियोंको निमन्त्रित करनेका प्रश्न था। दिल्ली सम्मेलनमें श्री तिलक और श्रीमती बेसेंट निमन्त्रित नहीं किये गये थे; इसलिए लॉर्ड विलिंग्डनके सम्मुख यह असाधारण प्रश्न उपस्थित था। अतः उन्होंने बहुत विचार करनेके बाद श्री तिलकको निमन्त्रण भेजा और श्री तिलकने उसे स्वीकार कर लिया। उन्होंने पूछा कि सम्मेलनमें बोलनेकी छूट दी जायेगी अथवा नहीं और वे संशोधन पेश कर सकेंगे या नहीं। उन्हें इसका उत्तर यह दिया गया कि उन्हें उन प्रस्तावोंपर संशोधन पेश नहीं करने दिये जायेंगे; लेकिन प्रस्ताव पेश करनेवाले व्यक्तियोंके बोल चुकनेके बाद वे बोल सकेंगे और उनकी आलोचना कर सकेंगे। गवर्नरने यह उत्तर शुद्ध भावसे दिया था और उनके शब्द दो अर्थी नहीं थे। इसलिए श्री तिलक और अन्य सज्जन सम्मेलनमें सम्मिलित हुए; लेकिन वहाँ उन्होंने क्या देखा? श्री तिलकका दूसरा वाक्य पूरा भी न हो पाया था कि उन्हें गवर्नरने आगे बोलने से रोक दिया और उन्हें आलोचना नहीं करने दी। श्री तिलक क्या कहना चाहते थे, वह गवर्नर नहीं जानते थे। वे उनके भाषण के गुण-दोषोंसे अनभिज्ञ थे। लेकिन जिस वाक्यको

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