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भाषण: रासमें

यों ही मरते हैं। इनकी मृत्युका शोक सिवा इनके सम्बन्धियोंके और कोई नहीं करता। इसके विपरीत यदि शास्त्रोंकी बात सत्य है, तो रणभूमिमें वीरगति पानेवाले सैनिक अमर हो जाते हैं और उनकी मृत्यु, जो पीछे छूट गये हैं उनके लिए आनन्द और गौरवका विषय हो जायेगी। क्षत्रियोंकी मृत्युसे उन राष्ट्र-रक्षकोंका प्रादुर्भाव होगा जिसे कोई सरकार निरस्त्र नहीं कर सकती।

हममें से एक सज्जन आज सेनामें भरती होनेके लिए अपनी रजामन्दी जाहिर करते थे; परन्तु उन्होंने कहा कि मैं दो महीने तक भरती नहीं हो सकता; क्योंकि मुझे अपने कर्जका बोझ उतारना है। ऐसे बहुतसे दृष्टान्त मिलेंगे। गाँवके नेताओंसे मेरा यह अनुरोध है कि वे ऐसे मनुष्योंके मामलोंकी जाँच करके पता लगायें कि उनकी आर्थिक दशा कैसी है, और उनके सारे काम-काजका प्रबन्ध और उनके परिवारवालोंके भरण-पोषणकी व्यवस्था करें। श्री गांधीने कहा:

केवल उसी दशामें आप नवयुवकोंको सेनामें भरती होनेके लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं। “इस प्रकार किरायेपर लड़नेवाली एक फौजके स्थानमें एक राष्ट्रीय सेना खड़ी हो सकेगी।” इंग्लैंडमें अमीर या गरीब कोई घराना ऐसा नहीं बचा होगा, जो कि अपने किसी-न-किसी सम्बन्धीकी मृत्युपर शोक न प्रकट कर रहा हो। अब यह निश्चय किया गया है कि ५१ वर्ष तककी उम्रके लोगोंको सेनामें भरती किया जाये। यदि हम अपने देशका शासन करना और उसकी रक्षा करना चाहते हैं तो प्रत्येक नवयुवकको सेनामें भरती होना चाहिए।

श्री गांधीने आशा व्यक्त की कि गाँववाले इस विषयमें परामर्श करके प्रति सैकड़ा दो आदमी सेनामें भरती होनेके लिए देंगे। उन्होंने कहा:

मुद्दतोंसे हमारी युद्ध करनेकी शक्ति नष्ट हो चुकी है; अस्त्र-शस्त्र चलाने की वह विद्या हम आखिर किस तरह सीख सकते हैं जिसके लिए हमारे पूर्वजोंने तपश्चर्या और कठोर व्रतोंका पालन किया है?

बाज आदमी यह कुतर्क करते हैं कि युद्धके अनन्तर हमसे हथियार फिर छीन लिये जायेंगे। इस विषयमें मुझे यह निवेदन करना है कि पृथ्वीतलपर कोई ऐसी शक्ति नहीं है जो हमारी इच्छाके विरुद्ध हमसे उस समय हथियार छीन ले, जबकि एकबार हम उनका प्रयोग सीख चुके हैं। सरकार ऐसी मूर्ख नहीं है, अन्यथा वह इस देशका शासन ही नहीं कर सकती थी। हमारा सबसे शक्तिशाली हथियार सत्याग्रह है। वह हमेशा ही हमारे पास रहता है। परन्तु जिसको मृत्युका भय है वह सत्याग्रही कभी नहीं हो सकता। सत्याग्रहकी वास्तविक कदर करनेके लिए शारीरिक शक्तिका प्रयोग कर सकनेकी क्षमता आवश्यक है। अहिंसाका पालन वही कर सकता है जो हत्या करना जानता है, अर्थात् यह जान चुका है कि हिंसा क्या है?

अन्तमें गांधीजीने कहा:

बहनो, आप लोगोंको चाहिए कि अपने भाइयोंको, स्वामियोंको और अपने बेटोंको उत्साहित करें। यदि आप चाहती हों कि वे सच्चे मनुष्य बनें तो उन्हें अपना आशीर्वाद देकर सेनामें भेजिए। इस बातकी चिन्ता आप न करें कि रणभूमिमें उनपर क्या