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सैनिक-भरतीके विषयमें चर्चा

लेने के बाद जो कमी रह जाये उसे आप पूरी करें। इतना दे सकें, तो दें। तब मैं निश्चिन्त हो जाऊँगा। आपको मेरा काम पसन्द न हो, तब तो मैं आपसे रुपया माँग ही नहीं सकता। लेकिन यदि आप इसे ठीक समझें, तो मदद देनेमें संकोच न करें।

आप मेरा भरतीका काम देख रहे होंगे। मैं अपने अन्य सब कामोंसे इसे कठिन और महत्त्वपूर्ण मानता हूँ। इसमें सफलता मिल जाये, तो सच्चा स्वराज्य सहज ही मिल सकता है।

मोहनदासके वन्देमातरम्

[गुजरातीसे]
महादेवभाईनी डायरी, खण्ड ४
 

३२४. मगनलाल गांधीको लिखे पत्रका अंश

[नडियाद]
जुलाई ३, १९१८

पुस्तकें आनी ही चाहिए। मुझे दूसरी चीजोंके मँगानेकी भी जरूरत जान पड़ती हैं। लगता है कि हमने...[१] की सज्जनताका दुरुपयोग किया है। वे जोर देकर नहीं कहते, इसलिए हम अड़ रहे हैं। २४ घंटेकी धमकी देनेपर हम जो करेंगे उसे मैं चाहता हूँ कि हम अभी करें। हम स्वयं अपने आपको धमकी दें, इसके समान कोई अन्य बात नहीं है।

[गुजरातीसे]
महादेवभाईनी डायरी, खण्ड ४
 

३२५. सैनिक-भरतीके विषयमें चर्चा[२]

[नडियाद]
जुलाई ४, १९१८

स्वराज्यका अर्थ है इंग्लैंडसे सम्बद्ध रहते हुए पूर्ण स्वतन्त्रता। यदि हम इस लड़ाईमें इंग्लैंडकी सहायता कर सकें, तो इंग्लैंड हमपर जो राज्य कर रहा है, उसके बजाय हमारा प्रभाव इंग्लैंडपर रहेगा। हमें फौजी तालीम लेनेकी जरूरत है। मैंने भारतमें अपने समान अहिंसा धर्मका पालन करनेवाला दूसरा कोई देखा ही नहीं। मैं तो प्रेमसे पूर्ण हूँ। जैसे अंग्रेजोंके पापोंको मेरे बराबर कोई नहीं जानता, वैसे ही उनके

  1. पुस्तकमें नाम छोड़ दिया गया है।
  2. आगन्तुकोंके साथ।