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पत्र: गोविन्द मालवीयको

 

मैंने सत्याग्रह फिलहाल स्थगित कर दिया है। समाचारपत्रोंमें प्रकाशित मेरा पत्र पढ़ लेना?

सस्नेह,

तुम्हारा,
बापू

[अंग्रेजीसे]
माई डियर चाइल्ड
 

३५५. श्रीमती पोलकको लिखे पत्रका अंश

[बम्बई]
जुलाई २२, १९१८

प्रिय श्रीमती पोलक,

...जीवन-सम्बन्धी मेरे अपने दृष्टिकोणमें क्रान्तिकारी परिवर्तन हो रहे हैं। मुझे महसूस होता है कि कुछ पुराने जाले कट रहे हैं। किन्तु इस विषयमें जब मुझे कुछ अधिक समय मिलेगा तब लिखूँगा।

[अंग्रेजीसे]
महादेव देसाईकी हस्तलिखित डायरीसे।
सौजन्य: नारायण देसाई
 

३५६. पत्र: गोविन्द मालवीयको

[बम्बई]
जुलाई २२, १९१८

तुम्हारा पत्र आनेसे मैं बहुत खुश हुआ। हम जिनको मुरब्बी[१] समझते हैं, उनके पास हम अपना सब आवेग खोल सकते हैं, खोलना आवश्यक है। मुझको पत्र लिखकर तुमने उचित कार्य किया है। भरतीमें क्या अत्याचार होता है, वह मैं नहीं जानता। यदि ज्यादा होता होगा, तो भरतीमें मेरे शामिल होनेकी ज्यादा आवश्यकता है।

मॉण्टेग्यु चैम्सफोर्ड योजना मेरी रायसे बड़ी-अच्छी है। उसकी त्रुटियाँ हम आन्दोलन करके दूर करवा सकते हैं, परन्तु योजना कैसी भी हो, मेरा निश्चित मन्तव्य है कि हमें युद्धमें दाखिल होना चाहिए। हम अंग्रेज प्रजाका उपकार करने के लिए दाखिल नहीं होते हैं। लेकिन देशकी सेवा करने के लिए देशका स्वार्थ देखकर हम भरती होना चाहते हैं। मैं भारतवर्षकी दुर्दशाका क्या बयान करूँ? मैं स्पष्ट देख सकता हूँ कि भारतवर्षको

  1. बुजुर्गं
१४-३१