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३६६. पत्र: सर विलियम विन्सेंटको

नडियाद
जुलाई २७, १९१८

सेवामें,
माननीय सर डब्ल्यू० एच० विन्सेंट, के० सी० एस० आई०

आपका इसी २२ तारीखका पत्र मिला; धन्यवाद। आशा तो यही है कि न्यायाधिकरण पूर्णतः निष्पक्ष होगा और ठीक समयपर नियुक्त कर दिया जायेगा। क्या मैं यथासमय आपका दूसरा पत्र पानेकी आशा करूँ?

[हृदयसे आपका,]

[अंग्रेजीसे]

नेशनल आर्काइव्ज़ ऑफ इंडिया, होम: पोलिटिकल (ए): जनवरी १९१९, सं० ३―१६।

 

३६७. पत्र: जमनालाल बजाजको

नडीयाद
आषाढ़ कृष्ण ४ [जुलाई २७, १९१८]

भाईश्री जमनालालजी,

आपके प्रेमभावसे मैं लज्जित होता हुं। मैं इतने प्रेमके लिए लायक बनु एसा चाहता हुं―प्रभुजीसे मागता हुं। आपकी भक्ति आपको हमेशा नीति मार्गमें आगे ले जायेगी, ऐसी मैं आशा रखता हुं।

मारवाडमें विद्या-प्रचारके कार्यकी सफलताके लीये अच्छा व्यवस्थापककी आवश्यकता है।

भरतीका कार्य[१] बहुत धीमा चलता है। करीब १५० तक हुए होंगे। कोईको अब-तक भेजे गये नहि है। गुजरातीयोंकी एक बेटेलियन बनानेकी तजवीज कर रहा हूं।

आपका,
मोहनदास गांधी

गांधीजी के स्वाक्षरोंमें मूल पत्र (जी० एन० २८४१) की फोटो-नकलसे।

 
  1. पहले विश्व-युद्ध के समय गांधीजी खेड़ा जिलेमें रंगरूटोंकी भरतीका काम कर रहे थे।