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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

 

(ख) जे० एल० मैरीमैनका पत्र एल० एफ० मॉर्सहैडको

मोतीहारी
नवम्बर २४, १९१७

प्रिय श्री मॉर्सहैड,

मेरी पाक्षिक गोपनीय रिपोर्ट।

सामान्य स्थितिमें सुधार नहीं हुआ, बल्कि वह कुछ बिगड़ी ही है। मुझे यह रिपोर्ट देते हुए खेद होता है कि देशी भाषामें दी गई सरकारी विज्ञप्तिसे सरकारकी कठिनाइयाँ बढ़ गई मालूम पड़ती हैं।...

८...जान पड़ता है, श्री गांधीके लौटने तथा सरकारके इरादेकी घोषणासे उत्तेजना फिर बढ़ी है।

९. श्री गांधी पुनः हमारे बीच आ गये हैं; वैसे अभी-अभी मुझे उनका पत्र मिला है जिसमें उन्होंने लिखा है कि वे १५ दिनके लिए बाहर जा रहे हैं। मैंने ९ नवम्बर, १९१७ को उनसे अपनी मुलाकातके बारेमें आपको सूचना दे दी थी। महीने के प्रारम्भमें यहाँ आनेके बादसे वे अत्यन्त सक्रिय हैं। उन्होंने निम्नलिखित स्थानों में स्कूल चलाने प्रारम्भ कर दिये हैं:

(१) बरहरवा-ने-ढाका―श्री और श्रीमती गोखलेकी देखरेखमें। श्रीमती गोखले “एक प्रशिक्षित नर्स तथा दाई” हैं।

(२) मितीहरवा―श्री सोमण “बेलगाँवके एक सार्वजनिक कार्यकर्त्ता”, श्री बालकृष्ण “गुजरातके एक नवयुवक” तथा स्वयं श्रीमती गांधीकी देखरेखमें।

(३) बेलवा―पी० एस० शिकारपुर बेलवा कारखानेके पास।

मुझे कृपया हिदायत दी जाये कि श्री गांधी, उनके स्कूल तथा उनके स्वच्छता प्रचारके प्रति क्या रुख अपनाना है। उनके कार्यके स्वरूपके बारेमें इतमीनान किये बिना ही में उन्हें प्रोत्साहन दूँ अथवा तटस्थ रुख अपनाऊँ?

मैं अभी उनके द्वारा दी गई हिदायतों या उनके अनुयायियोंके बारेमें कुछ नहीं कह सकता, क्योंकि मैं उनके बारेमें कुछ जानता नहीं हूँ। जिस कामकी वे बात करते हैं यदि सचमुच उसमें उनकी दिलचस्पी है तो मेरी समझमें तो वे उससे, अर्थात् बिहारी किसानको स्वच्छताका पाठ पढ़ाने से बहुत जल्दी तंग आ जायेंगे। श्री गांधी अपने स्कूलोंके लिए चन्दा एकत्र करनेकी कोशिश कर रहे हैं, किन्तु इस सम्बन्धमें स्थानीय भारतीयोंने बहुत कम उत्साह दिखाया है।

१०. इसी प्रकार निवेदन है कि श्री गांधीकी दूसरी गतिविधियोंके प्रति क्या रुख अपनाया जाये, इस विषयमें भी मुझे सूचित कर दिया जाये। वे अपनेको स्वच्छता तथा शैक्षणिक मामलोंतक ही सीमित नहीं रख रहे हैं। वे बेलवा (जिस स्थानपर उन्होंने स्कूलकी स्थापना भी की है) में शिवरतन नोनिया बनाम बेलवा कारखानेके श्री अमन द्वारा चलाये गये मामलेको वैयक्तिक जाँच कर रहे हैं। इसी सम्बन्धमें मैंने गत अक्तूबरकी २७ तारीखको अपने सरकारी पत्रमें बाबू जनकधारी प्रसादकी गतिविधियोंकी खबर भेजी हैं। उक्त मामलेमें जब कि न्यायालय अपना निर्णय दे चुका है, उन्होंने मुझे अपने विचार