पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 14.pdf/५५३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
५२१
परिशिष्ट

 

(च) ई० सी० रेलेंडके पत्रका अंश

दिसम्बर २, १९१७

चम्पारनकी स्थितिपर विचार करते समय हमें [गंगा] नदीके उत्तरके दूसरे जिलों, मुख्यतः छपरासे प्राप्त चिन्ताजनक समाचारोंका भी खयाल करना होगा। इसमें कोई सन्देह नहीं हो सकता कि मुजफ्फरपुर, दरभंगा और सारन जिलोंमें अशान्तिकी लहर फैल गई है। निस्सन्देह अशांति श्री गांधीके आने से प्रारम्भ हुई। इसमें किसीको शंका नहीं कि चम्पारन जिलेमें असन्तोष था किन्तु श्री गांधीके आनेसे किसानोंका रुख और भी बिगड़ गया। श्री गांधी क्या करनेवाले हैं, इस सम्बन्धमें उक्त जिलोंमें सर्वत्र अफवाहें फैल गईं और हमें यह तो ठीक तरहसे मालूम है कि सभी जिलोंके किसान शिकायतें लेकर श्री गांधीके पास गये। जान पड़ता है कि उस समय दूसरे जिलोंकी शिकायतोंपर खास ध्यान नहीं दिया गया; किन्तु जान पड़ता है कि दूसरे जिलोंके किसानोंका यह आम खयाल है कि श्री गांधी जब चम्पारन जिलेका काम पूरा कर चुकेंगे तब दूसरे जिलोंके मामले भी हाथमें लेंगे। वास्तवमें हमें प्राप्त एक ताज़ा खबरके अनुसार उन्होंने अभी हालमें मुजफ्फरपुरमें एक सभामें यह कहा है कि उनके प्रयत्नोंसे चम्पारन जिलेको जो लाभ मिलेगा वह बादमें इस जिलेके किसानोंको भी मिलेगा। इन स्थितियोंमें सीधे-सादे लोग यदि श्री गांधीको सर्वशक्तिमान् मानते हैं तो इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है। श्री गांधीका मन्शा जो भी हो, और मैं यह विश्वास करनेके लिए तैयार हूँ कि वह अच्छा है, फिर भी यह बात तो है ही कि उनके साथ कुछ अवांछनीय लोग हैं और वे उनके नामका लाभ उठाकर अशान्ति उत्पन्न कर रहे हैं। यदि श्री गांधीके भाषणोंके विवरण ठीक हैं तो उनसे लोगोंमें राज्यके प्रति अश्रद्धा अवश्य बढ़ेगी। यदि, जैसा वे कहते हैं, ये सज्जन अशान्ति दूर करने का प्रयत्न कर रहे हैं, तो इस समय उनका ऐसी बातें कहना कि वे किसानोंको बागान-मालिकोंके हिस्सेदारोंकी तरह देखना चाहते हैं और हिन्दुओंका हित सामूहिक गो-वध बन्द करा देनेमें है; अजीब मालूम होता है। जो मामले अदालतों में विचाराधीन हैं उनमें उनके द्वारा जाँचकी कार्रवाई करना अदालतकी मानहानि जैसा है। और उससे निश्चय ही स्थानीय अधिकारियोंकी प्रतिष्ठा घटती है। मुझे यह कहने में कोई झिझक नहीं है कि श्री गांधीका फिलहाल यहाँ रहना अवांछनीय है।

 

(छ) गृह विभागके सचिवको लिखे गये एच० मैक्फर्सनके पत्रका अंश

दिसम्बर ६, १९१७

आज की स्थितिमें श्री गांधीका चम्पारनमें बने रहना कठिनाई उत्पन्न करने- वाली बात है। उनका उद्देश्य तो शुद्ध है, और कहते हैं कि वे शान्ति- स्थापनाके लिए प्रयास कर रहे हैं तथा इस दृष्टिसे कुछ मामलोंमें उन्हें, अपेक्षाकृत अधिक जिम्मेदार बागान-मालिकोंके सहयोगसे, सफलता भी मिली है, लेकिन उनकी राजनीति आम खेतिहरोंकी समझमें नहीं आती, और वे जिन पिछलग्गुओंसे घिरे हुए हैं उनके काम उद्देश्यके प्रति बराबर उसी ईमानदारीसे प्रेरित नहीं रहते जैसे श्री गांधीके होते हैं। श्री गांधी