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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

होमरूलके एक प्रमुख व्याख्याता हैं, और जिस बृहदाकार प्रार्थनापत्रके लिए मुफस्सिल इलाकोंसे हस्ताक्षर एकत्र किये जा रहे हैं, उसका मसविदा भी उन्हींका तैयार किया हुआ है।

श्री गांधी के कामोंके कुछ ऐसे पहलू भी सामने आये हैं जिनका उद्देश्य चाहे जितना अच्छा हो, काश्तकार उन्हें गलत भी समझ सकते हैं। उनके कामोंमें स्कूल स्थापित करना और जिन मामलोंकी तहकीकात पुलिस कर रही है, उनका स्वयं श्री गांधी और उनके अनुगामियों द्वारा जाँच करना भी शामिल है। स्कूलोंमें बम्बईसे बुलाये गये शिक्षक पढ़ाते हैं। इन स्कूलों और उनके शिक्षकोंके बारेमें इतना अधिक ज्ञान तो नहीं है कि वे विद्यार्थियों को कैसे विचारोंकी शिक्षा दे रहे हैं, इस विषयमें कुछ कहा जा सके; लेकिन यह निश्चित है कि फौजदारी मामलोंमें हस्तक्षेप किये जाने के कारण स्थानीय पुलिस तथा न्यायाधिकारियोंको बड़ी परेशानी हो रही है।

[अंग्रेजीसे]
सिलेक्ट डॉक्यूमेंट्स ऑन महात्मा गांधीज़ मूवमेंट इन चम्पारन
 

परिशिष्ट ५

बबन गोखलेका पत्र मो० क० गांधीको

बरहरवा
दिसम्बर ६, १९१७

प्रिय श्री गांधी,

इस पत्रके मिलनेतक आप मोतीहारी पहुँच जायेंगे। आपको यह पत्र यहाँके कामकी प्रगतिके विषय में लिख रहा हूँ।

जब आप पिछली बार यहाँ आये थे तबसे अबतक गाँवके लगभग सभी कुएँ दुरुस्त किये जा चुके हैं, गन्दे पानीकी जो नालियाँ कुओंके करीब थीं और जिनसे पीनेका पानी गन्दा हो रहा था, उन्हें हमने बन्द कर दिया है। एक या दो जगहोंपर यह काम कठिन रहा क्योंकि घरकी नालीका रुख तबतक नहीं बदला जा सकता था जबतक वह किसी पड़ोसीकी जमीनसे न निकाली जाये। यह काम हमने पड़ोसियोंकी सहृदयता जगाकर पूरा कर ही लिया। दूसरे एक मामले में समझा-बुझाकर राजी करनेके लिए हमें गाँवके बुजुर्गोंकी मदद लेनी पड़ी। कुछ भी हो, हमने अपना काम पूरा कर लिया।

अब हम उन्हें अपने घरोंके बिलकुल करीब गन्दगी करनेसे रोकनेकी कोशिशमें लगे हैं। यह हम एक बुजुर्ग मुसलमानकी सहायतासे करना चाहते हैं जो प्रति शुक्र-वारकी नमाजके बाद लोगोंको इस विषयमें समझायेगा। हिन्दुओंके लिए भी हम ऐसा ही तरीका अपनाना चाहते हैं। मैं समझता हूँ कि कुछ सप्ताहों में इसका कुछ अच्छा नतीजा निकलेगा। इस बीच हम लोगोंने स्वयं उनके पाखानेको मिट्टीसे ढँक-ढँककर