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परिशिष्ट

 

मेसोपोटामिया या गया और पुरीके रेलवे प्रशिक्षण केन्द्रोंके लिए हमें आदमियोंकी आवश्यकता है। वहाँ दो या तीन मासका प्रशिक्षण देने के बाद उन्हें बसरा भेज दिया जायेगा। हम ३० रु० पेशगी देते हैं। भारतमें १५ रु० तथा समुद्र-पार जानेपर इन्हें २०) रु० मासिक दिया जाता है। प्रति व्यक्तिपर ३ रु० भरती कराई शुल्क दिया जाता है।

क्या आप अपने दौरोंके दरम्यान आर्थिक-लाभ के इस प्रशस्त अवसरकी ओर जनताका ध्यान खींच सकेंगे? अगर एक घरसे एक आदमी भी चला जाये तो उसे अपने कुटुम्बको ८) रु० महीना भेजते रहकर भी अवधिके हिसाबसे लड़ाईके अन्तमें घर लौटनेपर, अप्राप्त वेतनके रूप में १०० रुपयेसे २०० रुपये तक, नये सिरेसे जीवन प्रारम्भ करनेके लिए मिलेगा।

मजदूरोंकी आयु २० वर्षसे अधिक तथा ३५ वर्षसे कम होनी चाहिए और शारीरिक दृष्टिसे उन्हें सचमुच हट्टा-कट्टा होना चाहिए। यदि आप ऐसे व्यक्तियोंको भरती करनेमें हमें सहायता दे सकते हैं तो युद्ध-प्रयत्नमें सहयोगके साथ ही उन लोगोंका भी फायदा होगा जिनमें आप व्यक्तिगत तौरपर दिलचस्पी ले रहे हैं। सन्थाल परगनेमें तीन-चार लाख रुपये चुकता किये गये हैं और इससे वहाँके महाजनों तथा अत्याचारी जमींदारोंको काफी परेशानी हुई है।

यदि आप स्वयं आहत-सहायकोंका एक दल खड़ा करना चाहें और मुझे बतायें कि आपको कितने आदमी मिल सकते हैं तो मैं आपके प्रस्तावको प्रधान सैन्य-कार्यालय के पास भेज दूँगा।

हृदयसे आपका,
ई० एल० एल० हैमंड

सिलैक्ट डॉक्यूमेंट्स ऑन महात्मा गांधीज मूवमेंट इन चम्पारन
 

परिशिष्ट ८

(क) एल० एफ० मॉर्सहैडका पत्र गांधीजीको

मोतीहारी
जनवरी १४, १९१८

प्रिय श्री गांधी,

चम्पारन खेती-बारी विधेयकके सम्बन्धमें मैंने सरकारको बताया है कि वर्तमान प्रारूप में खण्ड ३ की पहली धारा खुश्की समझौतेपर भी उसके प्रचलित रूपमें तिन-कठिया-जैसा ही निषेध लगाती है, क्योंकि बागान मालिक-संघ द्वारा स्वीकृत साटेके स्वरूपमें यह शर्त निबद्ध है कि उपज मुहैया करनेके लिए कितने क्षेत्र में खेती की जाये। इस उपजकी कीमत वजनके हिसाबसे चुकता की जाती है।