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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

 

मुझे इस आशयका उत्तर मिला है कि सरकारके विचारमें विधेयकके खण्ड ५ में खुश्की साटाको, जिस रूपमें वह अबतक स्वीकृत रहा है, गैर-कानूनी करार देनेवाली कोई बात नहीं है, किन्तु खण्ड ३ निर्धारित क्षतिपूर्तिके जरिये करार तोड़नेके दण्डको अवैध बना देगा। जाहिरा तौरपर दो बीघोंमें या मेरे खयालसे जमीनके किसी और भागमें नील उगानेके समझौते के सम्बन्धमें कोई आपत्ति नहीं है, बशर्ते कि काश्तकारोंको काश्त के लिए वास्तविक भू-क्षेत्रोंको चुननेकी पूरी आजादी हो और भूमि-सुधार समितिका स्पष्टतः यह इरादा था कि वर्तमान खुश्की प्रणालीको उक्त शर्तके साथ जारी रहने दिया जाये।

तदनुसार मुझसे कहा गया है कि मैं इस मुद्देपर, तथा धारा ३ में संशोधन करने के लिए ऐसा उपयुक्त तरीका निकालने के बारेमें, जिससे खुश्की साटामें कोई रुकावट न आये, रैयत तथा उनके प्रतिनिधि दोनों के विचार जान लूँ।

हमने आज सुबह इस मामलेपर विचार किया था, और मैं आपके सामने श्री कैनेडीका संशोधन रखता हूँ जो इस प्रकार है:

(क) “किसी भी अधिकार, भूम्यधिकार या दूसरे किसी हितके बावजूद, अक्तूबर १, १९१७ से चम्पारन जिलेके अन्तर्गत जितनी नई भूमि है, उसपर काश्तकारका पट्टा होगा, और वह पट्टेकी ऐसी किसी भी शर्तसे मुक्त होगा जिसके अनुसार काश्तकारपर अपने भूस्वामीकी सुविधाके लिए अपनी जमीनपर या उसके किसी भागपर कोई भी फसल उगानेकी बाध्यता आती हो; तथा कोई भी पूर्ववर्ती ऐसा या ऐसे अधिनियमजो पट्टे में इस प्रकारके शर्तकी अनुमति देते हैं, इसके द्वारा स्पष्ट रूपसे रद किये जाते हैं।
(ख) “ऐसा कोई समझौता, ठेका या बन्धीकरण, जिसके जरिये कोई काश्तकार अपने भूस्वामीको अपनी जोतपर या उसके किसी भागपर उगाई गई फसलको देना स्वीकार करता है, उसके बारेमें करार करता है या उस फसलको उसके पास बन्धक रखता है, ऐसी शर्तकी हदतक अवैध माना जायेगा किन्तु यदि जोत या उसके किसी भागका इस प्रकारके समझौते, ठेके या बन्धीकरणमें विशेष रूपसे उल्लेख हुआ हो तो तब ऐसा नहीं होगा।”

मैं समझता हूँ, इस संशोधनके दूसरे भागपर जिसे मैंने ‘ख’ से चिह्नित किया है आपको आपत्ति है, किन्तु मेरे विचारमें केवल पहला भाग, जिसे मैंने ‘क’ से चिह्नित किया है, स्वीकार्य होगा। कृपया सूचित करें कि क्या मैं तदनुसार सरकारको सूचना दे दूँ? सरकार चाहती है कि उसे १९ तारीखको होनेवाली प्रवर समितिको बैठकसे पूर्व उत्तर मिल जाये। क्या आप उस तारीखसे पूर्व मुझे उत्तर देकर अनुगृहीत करेंगे? मैं १५ और १६ को रामगढ़वाके शिविरमें तथा १७ और १८ को चैनपटियामें रहूँगा।

हृदयसे आपका,
एल० एफ० मॉर्सहैड