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परिशिष्ट

[बेतिया स्टलिंग लोन] आरम्भ करनेके ३२ वर्ष बाद पहली बार इसके कारण ऋणके ब्याजकी जमानत करनेवाले जामिन लोग (या कमसे-कम उनमें से कुछ लोग) उसकी किस्त अदा नहीं कर सके। किस्त-अदायगीकी तारीख गत माहकी १५ तारीख निश्चित थी। मजबूर होकर जागीरको किस्त-अदा करनेके लिए फिरसे रुपया उधार लेना पड़ा। सरकारने एक सर्वथा अनावश्यक (जैसा कि स्वयं लेफ्टिनेंट गवर्नर महोदयने कहा था ) समिति नियुक्त करके जो गलती की उसका ही प्रत्यक्ष परिणाम यह हुआ कि जामिन लोग किस्त अदा नहीं कर सके। अब कोर्ट ऑफ वार्ड्स जामिनोंको इस चूकके लिए कैसे जिम्मेदार ठहरा सकता है।

जिला अधिकारीने मुझसे चालू फसली सन् (१३२५) की पहली तिमाहीकी लगान वसूलीका एक वक्तव्य तैयार करनेको कहा था ताकि पिछले वर्ष इसी अवधिमें की गई वसूलीसे उसकी तुलना की जा सके। निःसन्देह इसका उद्देश्य मोतीहारी लि० द्वारा उपर्युक्त ब्याजकी रकमका अपना हिस्सा, जो रु० ४८,५९०-८-० था, अदा न कर पानेकी कैफियत लेना था। मैंने गैर-अदायगीके कारण जो घाटा था, उसके अतिरिक्त रु० ५६,०८६-८-३ का घाटा दिखाया। मछली पालनेवाले तालाब एक जमानेसे राजके और राजके अधीन पट्टा प्राप्त लोगोंके अधिकारमें रहे हैं। अब गुमराह काश्तकार लोग उन तालाबोंमें ठेकेदारोंको मछली पकड़ने से रोकते हैं और लूट जाते हैं। इन काश्तकारोंने पुलिस और अदालती जाँचोंमें स्वीकार किया है कि ऐसा वे श्री गांधीके निर्देशपर करते हैं। इस कम्पनी- के इलाकेमें पिछले पाँच सालोंमें या जबसे शरहबेशी और तावान लागू किया गया, लगानके मुकदमों या छोटे-मोटे अपराधोंके मुकदमोंका औसत क्रमश: २१ और ३ प्रतिवर्ष था। इस वर्ष श्री गांधी और समितिकी सिफारिशोंकी दयासे, मेरा अनुमान है कि, लगानके सिलसिले में कमसे-कम २,२०० मुकदमे खड़े होंगे। अपराधोंके कितने मुकदमे दर्ज होंगे, मेरे लिए कोई अनुमान करना कठिन है। श्री गांधीको जिलेमें लानेवाले वकीलों और अन्यायपूर्वक दूसरेके अधिकारोंपर दखल जमानेवालोंकी दृष्टिमें निःसन्देह यह बहुत सन्तोषजनक है। किन्तु जो जिला अबतक मुकदमेबाजीसे मुक्त था, कितने दुःखकी बात है कि अब उसके विषय में यह नहीं कहा जा सकेगा।

मुझे बताया गया है, और मैं उसपर विश्वास करता हूँ कि मोतीहारीमें गौ-रक्षिणी सभाकी एक मीटिंगमें उन महानुभाव (गांधीजी) ने अपने हिन्दू और मुसलमान श्रोताओंसे प्रतिवर्ष एक गायकी हत्याके ऊपर आपसमें लड़ना बन्द करने और एक होकर साहब लोगों (अपने जमींदारों) पर आक्रमण करनेका अनुरोध किया जो प्रतिदिन गायें मारते और खाते हैं।

जब श्रीमती गांधीके पति होमरूल समारोह तथा ऐसे ही अन्य आयोजनोंमें व्यस्त रहनेके कारण उनसे अलग होते हैं, उस समय वे श्रीमती एनी बेसेंटके पदचिह्नोंका अनुसरण करते हुए जहाँ-तहाँ इसी तरहके अनर्गल उपदेश देती रहती हैं और अभी-अभी उन्होंने स्कूल खोलनेके बहाने एक छोटी जमींदारीके देहातमें एक बाजार खोल दिया है, जिसमें ठेकेदार या मालिकको दस्तूरके मुताबिक चुंगी या बाजार कर दिये बिना गल्ला या अन्य चीजें खरीदी जा सकती हैं। स्पष्ट ही इसका मंशा जानबूझकर कारखानेके मालिकोंके दो बाजारोंको जो इस देहातके पास हैं, बरबाद कर देना ही

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