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तारीखवार जीवन-वृत्तान्त
दिसम्बर २७: अखिल भारतीय समाज-सेवा सम्मेलनके स्थगित किये जानेकी घोषणा की।
दिसम्बर २९: कांग्रेसके अधिवेशनमें दक्षिण आफ्रिकावासी भारतीयोंपर लागू निर्योग्यताओंसे सम्बन्धित प्रस्ताव पेश किया।
दिसम्बर ३०: भारतीय सामाजिक सम्मेलन में दलित वर्गोंके उत्थान और शिक्षाके सम्बन्धमें प्रस्ताव प्रस्तुत किया; प्रथम बंग कृषि-विशेषज्ञोंकी परिषद्म भाषण, तिलककी अध्यक्षतामें अखिल भारतीय राष्ट्रभाषा सम्मेलनकी सभामें हिन्दीको भारतकी सामान्य भाषा बनानेकी सिफारिश की। रवीन्द्रनाथ ठाकुरने कांग्रेसके अधिवेशनमें भाग लिया और अपनी कविता ‘भारतकी प्रार्थना’ सुनाई। कांग्रेस सप्ताह के सिलसिले में उनका नाटक 'डाकघर' खेला गया।
दिसम्बर ३१: कलकत्ता में ऑल इंडिया मुस्लिम लीगकी बैठकके दूसरे दिन भाषण; बॉम्बे ऐंड बंगाल ह्यूमैनिटेरियन फंड्सके तत्त्वावधान में आयोजित सभामें भी। अखिल भारतीय समाज सेवा सम्मेलनमें अध्यक्षीय भाषण।

१९१८

जनवरी १: गांधीजीने अहमदाबादमें पानीके अपर्याप्त और अनियमित प्रबन्धके विरोधमें आयोजित सभाकी अध्यक्षता की।
गुजरात सभाने बम्बई सरकारको लगानमें राहत देनेके लिए लिखा।
जनवरी ४-५: गांधीजीने अहमदाबाद मिल-मजदूरों और मिल-मालिकोंके प्रतिनिधियों से बातचीत की।
जनवरी ५: बिहार बागान-मालिक संघके चम्पारनके सदस्योंने चम्पारन खेती-बारी विधेयककी कुछ अवधान धाराओंके विरुद्ध स्मृतिपत्र भेजा।
जनवरी १०: गांधीजीके मतानुसार गुजरात सभाने खेड़ाके किसानोंको लगान अदा न करनेकी सलाह दी।
जनवरी १२: गांधीजी अहमदाबादसे मोतीहारी लौटे।
जनवरी १३ से पूर्व: जो अपनी नौकरियाँ छोड़कर कुछ दूसरे कामकी खोजमें थे, ऐसे शिक्षकोंको, काम देनेकी तत्परता घोषित की।
जनवरी १४: तिरहुत क्षेत्रके कमिश्नर एल० एफ० मॉर्सहैडसे चम्पारन खेती-बारी विधेयकपर बातचीत की। अपने वक्तव्यमें खेड़ाके कलक्टरने गुजरात सभा द्वारा किसानोंको लगान न चुकानेकी राय दिये जानेकी निंदा की और लगान देनेसे इनकार करनेवाले किसानोंके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई करनेकी धमकी दी।
जनवरी १६: बम्बई सरकारके वक्तव्यमें कहा गया कि जिन मामलोंमें जरूरी था वहाँ खेड़ाके कलक्टरने लगान में राहत दी है।
जनवरी २१: गांधीजीने हिन्दीको राष्ट्रभाषा बनाने के सम्बन्ध में रवीन्द्रनाथ ठाकुरकी राय जाननेके लिए उन्हें पत्र लिखा।
जनवरी २४: बिहार और उड़ीसा सरकारके राजस्व सचिवसे निवेदन किया कि रैयतके प्रतिनिधिसे सलाहके बिना चम्पारन खेती-बारी विधेयकमें कोई भी महत्त्वपूर्ण परिवर्तन न किया जाये।