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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय
- फरवरी ४: खेड़ाकी स्थितिपर बम्बईकी सार्वजनिक सभामें भाषण।
- फरवरी ५: खेड़ाकी स्थितिके सम्बन्ध में दिनशा वाछा और जी० के० पारेखके साथ बम्बईके गवर्नरसे भेंट की; उसके बाद साबरमती के लिए रवाना हुए।
- फरवरी ६: आश्रम पहुँचे; कलक्टरों और मामलतदारों द्वारा जारी किये गये नोटिस देखे।
- फरवरी ७: उत्तरी क्षेत्र के कमिश्नर प्रैटको पत्र लिखकर सरकारी नोटिसोंमें प्रयुक्त अशोभनीय भाषाका विरोध किया।
- फरवरी ८: अहमदाबादके मिल-मजदूरोंसे न्याय-मार्गपर चलने और बिना कटुताके समझौता करनेका अनुरोध किया।
- फरवरी १२: कलक्टर और कमिश्नरसे खेड़ाकी स्थितिपर बातचीत की।
- फरवरी १४: पंचोंके सामने प्लेग बोनसको ध्यान में रखते हुए वेतन-वृद्धिके सम्बन्धमें शंकरलाल बैंकर और वल्लभभाई पटेलके साथ मजदूरोंका प्रतिनिधित्व किया।
- फरवरी १५: प्रैटको पत्र लिखा और अनुरोध किया कि जबतक वे स्थितिकी जाँच कर रहे हैं तबतक लगानकी वसूली स्थगित कर दी जाये।
- फरवरी १९ से पूर्व: गोखलेके भाषणोंके अनुवादकी भूमिका लिखी।
- फरवरी १९: मिल-मजदूरोंको उनके आन्दोलनके प्रति अपनी जिम्मेदारी समझाई। गोखलेकी तीसरी बरसीके अवसरपर ‘सर्वेंट ऑफ इंडिया’ का प्रकाशन शुरू किया।
- फरवरी २०: बम्बईमें भगिनी समाजके वार्षिक उत्सवकी अध्यक्षता की; स्त्री-शिक्षा-पर भाषण। नडियाद लौट आये।
- फरवरी २१: मोटरसे खेड़ा गये; कलक्टरसे भेंट।
- फरवरी २२: अहमदाबादके मिल-मालिकोंने तालाबन्दीकी घोषणा कर दी।
- फरवरी २५: गांधीजी नडियादसे अहमदाबाद लौट आये।
- फरवरी २६: मिल-मजदूरोंके संघर्षके सम्बन्धमें पत्रिकाओंका प्रकाशन तथा नित्य साबरमतीके किनारे बबूलके पेड़के नीचे मजदूरोंके समक्ष भाषण प्रारम्भ किया।
- फरवरी २७: साबरमती आश्रमकी प्रार्थना-सभामें भाषण; प्रैटसे भेंट।
- मार्च १: मजदूरोंके सलाहकारोंमें जरूरतमन्द हड़ताली मजदूरोंके खान-पानका प्रबन्ध करनेका वचन लिया।
- मार्च ४: बिहार और उड़ीसा विधान परिषद्ने चम्पारन खेती-बारी विधेयक पास कर दिया।
- मार्च ७: सहयोगियोंके साथ तालाबन्दीसे उत्पन्न स्थितिके विषयमें चर्चा।
- मार्च १०: अहमदाबाद के प्रेमाभाई हॉल में गुजरात सभाकी वार्षिक बैठककी अध्यक्षता की।
- मार्च ११: नडियादके कलक्टरसे भेंट
- मार्च १२: मिलोंमें तालाबन्दीकी समाप्ति। मिल-मजदूरों द्वारा हड़ताल शुरू।
- मार्च १३: दो सभाओंकी अध्यक्षता की, इनमें श्रीमती बेसेंटने भाषण दिया था।
- मार्च १४: अपनी दशाके बारेमें मिल-मजदूरोंके उलाहनेकी खबर गांधीजीको दी गई।
- मार्च १५: मजदूर अपनी टेकसे न हटें इस इरादेसे प्रार्थना -सभामें उपवास करने के निर्णयकी घोषणा।