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तारीखवार जीवन-वृत्तान्त
मार्च १६: अनसूयाबेनके घरसे साबरमती आश्रम लौटे।
मार्च १७: बम्बईके गवर्नरसे लगान की वसूली स्थगित करने की अपील; अपील स्वीकार नहीं हुई। आश्रमकी प्रार्थना-सभामें उपवासके महत्त्वको समझाया।
मार्च १८: मिल-मजदूरों और मालिकोंके समझौतेकी घोषणा; प्रो० ध्रुव पंच नियुक्त।
मार्च १९: अन्तिम पत्रिका, संख्या १७में समझौतेका पूरा मतलब समझाया; मिल-मजदूरोंके जुलूसमें भाग लिया।
मार्च २१: सार्वजनिक सभामें भाषण; सी० एफ० एन्ड्रयूजने भी सभामें भाषण दिया; उसके बाद गांधीजी खेड़ाके किसानोंका मामला बम्बईके गवर्नरके सम्मुख रखनेके लिए बम्बई रवाना हुए।
मार्च २२ से पूर्व: गवर्नर द्वारा लगानकी वसूली स्थगित करने की अपील अस्वीकृत होनेपर गांधीजीने प्रैटको अन्तिम चेतावनी दी।
मार्च २२: खेड़ा सत्याग्रह आरम्भ करते हुए नडियाद ५,००० किसानोंके समक्ष भाषण। सत्याग्रहियोंसे लगान अदा न करने और उससे होनेवाले कष्टोंका सामना करनेका वचन लिया।
एन्ड्रयूजका तार पानेपर दिल्लीके लिए रवाना।
मार्च २५: अली भाइयोंकी रिहाईके सिलसिले में वाइसरायके निजी सचिवसे भेंट की।
मार्च २७: नडियाद लौटे। हालमें किये गये अपने उपवासके सम्बन्धमें समाचारपत्रोंको पत्र लिखा।
खेड़ाकी स्थितिपर परिपत्र प्रकाशित किया।
मार्च २८: खेड़ाकी स्थितिपर समाचारपत्रोंको वक्तव्य; इन्दौरके लिए रवाना।
मार्च २९: इन्दौरमें हिन्दी साहित्य सम्मेलनमें अध्यक्षीय भाषण।
मार्च ३१: समाचारपत्रों को लिखे पत्र में मद्रास जिलेके युवकोंसे हिन्दी सीखनेका अनुरोध।
अप्रैल १: खेड़ाका दौरा शुरू ; कठलाल और फिर कठाना गये; सार्वजनिक सभामें सरकारके रुखको अन्यायपूर्ण कहा।
अप्रैल २: लिंबासीमें लोगोंसे अपील की कि वे सरकारकी दमनकारी कार्रवाइयोंसे डरें नहीं।
अप्रैल ५: वड़थलमें कलक्टरसे भेंट की; लोगोंको परिणामकी कुछ परवाह किये बिना साहसपूर्वक कष्टोंका सामना करनेकी सलाह दी।
अप्रैल ६: कस्तूरबा, वल्लभभाई और महादेव देसाईके साथ उत्तरसंडा गये; २,००० किसानोंकी सभा में भाषण।
अप्रैल ७: नवागांवकी सभा गांधीजीका भाषण सुननेके लिए लगभग ३,००० किसान उपस्थित।
अप्रैल ८: गांधीजी बोरसद गये; ४,००० लोगोंकी सभामें भाषण; मद्रासके गोखले हॉलमें राष्ट्रीय शिक्षा सप्ताह के उद्घाटनके अवसरपर एनी बेसेंटने गांधीजीका सन्देश पढ़कर सुनाया।
अप्रैल १०: गांधीजीने अहमदाबादके जिलाधीशसे भेंट की; अकलाचामें खेड़ाकी स्थितिपर भाषण।
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