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राष्ट्रीय शिक्षाकी योजना
बिछाये हैं उनको दूर करनेका वे बड़ा जबरदस्त प्रयत्न करते हैं। उनकी इस ईश्वरप्रदत्त प्रतिभाको देखकर मैं आश्चर्यचकित रह गया हूँ।

पूनामें देशी भाषा द्वारा शिक्षा देनेका प्रयत्न किया गया है और उस पाठशालाके व्यवस्थापकोंके विचारानुसार सरकार और जनता—दोनोंका यही मत है। हमारा उद्देश्य भी देशी भाषाके माध्यमसे शिक्षा प्रदान करनेका है।

प्रथम [गुजरात] शिक्षा परिषद्के अध्यक्षने अपने भाषणमें बताया कि यदि मातृभाषा द्वारा शिक्षा दी जाये तो [विद्यार्थियोंको] हाई स्कूलमें जितना ज्ञान इस समय ग्यारह वर्षों में प्रदान किया जाता है उतना सात वर्षोंमें दिया जा सकता है। समयकी यह बचत कोई छोटी-मोटी बात नहीं है। इस शिक्षा-पद्धतिसे सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि इससे जनताके खर्चका भारी बोझ हल्का हो जायेगा।

इस पाठशालाके पाठ्यक्रममें हिन्दी भाषा पढ़ाई जाती है, उसका कारण यह है कि इस समय हिन्दी भाषा बोलनेवालोंकी संख्या लगभग २२ करोड़ है। और हमारे देशके इतने लोग जो भाषा बोलते हैं यदि वह [सब लोगोंको] पढ़ाई जाये तो प्रत्येक व्यक्ति विभिन्न राजनैतिक हलचलोंको आसानीसे समझ सकेगा। मेरा दृढ़ विचार है, केवल हिन्दी ही राष्ट्रभाषाका स्थान ले सकती है। हिन्दीमें बहुत अच्छा साहित्य है। वह हमारी भाषाओंके साहित्यको समृद्ध बना सकती है।

आजकी पाठशालाओंमें धर्मशास्त्रकी शिक्षाकी कोई व्यवस्था नहीं है। इस पाठशालाके पाठ्यक्रममें इसको भी स्थान दिया गया है।

यहाँ लोगोंको दो धन्धोंकी शिक्षा दी जायेगी (१) खेती और (२) बुनाईका काम। इन दो धन्धोंके अंगरूप लोगोंको लुहारी और बढ़ईगीरीका अभ्यास भी कराया जायेगा। उनको भौतिक-शास्त्र, रसायन-शास्त्र, वनस्पति-शास्त्र और प्राणी-शास्त्रकी शिक्षा भी दी जायेगी। हिन्दुस्तानमें इन दो धन्धोंको सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त है और जो लोग इन धन्धोंको सीख लेंगे उन्हें नौकरी तलाश करनेकी कोई जरूरत नहीं होगी।

प्रत्येक विद्यार्थीको स्वास्थ्य-रक्षाके उपाय बताये जायेंगे तथा सामान्य रोगोंका घरेलू उपचार करनेकी शिक्षा दी जायगी। विद्यार्थीकी मानसिक शिक्षाकी ओर जितना ध्यान दिया जायेगा, शारीरिक शिक्षाकी ओर उससे तनिक भी कम ध्यान नहीं दिया जायेगा। प्रत्येक विद्यार्थीको पाँच भाषाएँ सिखाई जायेंगी:

(१) गुजराती (२) हिन्दी (३) मराठी (४) संस्कृत तथा (५) अंग्रेजी।

गणितके विषयोंमें अंक-गणित, बीज-गणित, भूमिति, त्रिकोणमितिका ज्ञान दिया जायेगा। इस प्रकार आजकल कॉलेजोंमें पाँच वर्षमें जितनी शिक्षा दी जाती है उतनी शिक्षा प्रत्येक विद्यार्थीको दी जायेगी।

इतिहास-भूगोल: गुजरात, हिन्द, इंग्लैण्ड, ग्रीस, रोम तथा आधुनिक कालका इतिहास पढ़ाया जायेगा। अन्तिम वर्षमें इतिहासका रहस्य तथा समाज-शास्त्र भी पढ़ाया जायेगा। भूगोल सम्बन्धी जितना ज्ञान अन्य पाठशालाओंमें दिया जाता है उतना ही इस पाठशालामें भी दिया जायेगा।