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सम्पूर्ण गांधी वाङ‍्मय


मैंने जो बुराइयाँ बताई हैं उनके लिए जहाँतक स्वयं यात्रियोंके दायित्वका सम्बन्ध है, डिब्बोंकी दीवारोंपर ऐसे नोटिस चिपका देने चाहिए और स्टेशनोंपर ऐसे नोटिसबोर्ड लगा देने चाहिए जिनमें पाखानों आदिके प्रयोगके सम्बन्धमें विस्तृत निर्देश दिये गये हों। गन्दी या घृणित आदतोंको वर्जित करनेवाले विनियम सावधानीसे लागू किये जा सकते हैं। विभिन्न देशी भाषाओंमें छपी एक निर्देश-पुस्तिका लम्बी यात्राके टिकटोंके साथ बाँटी जा सकती है और अन्य लोगोंको माँगनेपर मुफ्त दी जा सकती है। इस शिक्षणात्मक कार्य की पूर्तिके लिए आम जनतामें से स्वयंसेवक माँगने चाहिए और उनका सहयोग लेना चाहिए।

अन्य शिकायतोंके बारेमें:

स्टेशन-निरीक्षकों और अन्य अधिकारियोंको हिदायत कर देनी चाहिए कि वे हर जंक्शन या मुख्य स्टेशनपर डिब्बोंको और पाखानोंको झड़वाएँ और साफ करवाएँ।

स्टेशनोंपर बने हुए पाखानोंकी सफाईके बारेमें पूरी सावधानी रखी जानी चाहिए। पाखानोंके उपयोगके बाद हर बार मिट्टी या कीटाणुनाशक दवा डालनी चाहिए। इसके लिए हर स्टेशनपर हर समय भंगी नियुक्त रखने चाहिए। मेरी विनम्र सम्मतिमें इस मामलेके महत्त्वको देखते हुए हर समय भंगी नियुक्त रखना अत्यावश्यक है। सम्भवतः ऐसे विशेष पाखाने बनवाना दूरदर्शितापूर्ण होगा जिनका उपयोग थोड़ा-सा शुल्क देकर कोई भी यात्री कर सके। इस समय स्टेशनोंपर जो पाखाने हैं वे बिलकुल बेपर्दा हैं। मेरा खयाल है कि पर्देकी व्यवस्था थोड़ा-सा खर्च उठाकर की जा सकती है।

समस्त प्रमुख स्टेशनोंपर स्नानकी सुविधाएँ सुलभ होनी चाहिए।

मुझे मालूम हुआ है कि स्टेशनोंपर खाने-पीनेकी चीजें बेचनेकी अनुमति केवल लाइसेंस-प्राप्त विक्रेताओंको ही मिली हुई है। लाइसेंस देनेसे पहले विक्रेताओंको चीजोंके भावोंकी लिखित सूची देनी चाहिए और खाने-पीनेकी चीजें और विक्रेता साफ हों, यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए। तीसरे दर्जे के मुसाफिरखाने जैसे इस समय गन्दे रहते हैं वैसे गन्दे नहीं रखने चाहिए। बल्कि वे सावधानीके साथ स्वच्छ रखे जाने चाहिए।

यात्रियोंको टिकट प्राप्त करने में अकथनीय कष्टोंका सामना करना पड़ता है। टिकट प्राय: गाड़ी छूटनेसे केवल कुछ समय पहले ही दिये जाते हैं। इसका नतीजा होता है घूसखोरी, टिकटें खरीदेनेके लिए यात्रियोंमें लड़ाई-झगड़े और अनेक लोगोंको निराशा।

मुख्य-मुख्य स्टेशनोंपर मुसाफिरखानोंको बिलकुल नया रूप देनेकी आवश्यकता है। वहाँ यात्रियोंके अनुसरणके लिए विनियम होने चाहिए। बेंचोंकी व्यवस्था बड़ी संख्यामें होनी चाहिए। वे दिनमें कई बार साफ की जायें। स्त्री-वर्गके उपयोगके लिए कमरोंकी व्यवस्था हो।

मेरी विनम्र सम्मतिमें अतिरिक्त डिब्बोंकी व्यवस्थाको छोड़कर अन्य सब बुराइयोंको रेलवे प्रशासन बहुत-थोड़ा अतिरिक्त खर्च उठाकर दूर कर सकता है। जरूरत सहानुभूति दिखाने और तीसरे दर्जेके यात्रियोंके अधिकारोंको मान्य करनेकी है, क्योंकि उनसे रेलवेको यात्रा-यातायातसे प्राप्त आयका सबसे बड़ा हिस्सा मिलता है।