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१५. प्रस्ताव : प्रथम गुजरात राजनीतिक परिषद् में — १[१]'

नवम्बर ४, १९१७

१. यह परिषद् दादाभाई नौरोजीके निधनपर शोक और उनके परिवारके प्रति अपनी समवेदना प्रकट करती है तथा ईश्वरसे प्रार्थना करती है कि इस महात्मा पुरुषको शान्ति मिले।

२. परिषद् अखिल भारतीय मुस्लिम लीग तथा कांग्रेसके प्रसिद्ध नेता श्री अब्दुल रसूलके स्वर्गवासहोनेपर दुःख प्रकट करती है और उनके परिवारके प्रति सहानुभूति प्रदर्शित करती है एवं भगवान् से प्रार्थना करती है कि उनकी आत्माको शान्ति मिले।

३. श्री मॉण्टेग्यु महोदय अपने यात्रा-कार्यक्रमके अनुसार २४ दिसम्बर, १९१७ से २ जनवरी, १९१८ तक बम्बईमें रहेंगे। लेकिन उस सप्ताहके दौरान कांग्रेस तथा मुस्लिम लीगकी कलकत्तेमें जो सभा होनेवाली है उसमें सम्मिलित होनेके लिए इस प्रान्तके नेता कलकत्ते गये हुए होंगे और इस कारण उन्हें श्री मॉण्टेग्युके साथ परामर्श करनेका अवसर नहीं मिल सकेगा। इसलिए यह परिषद् सरकारसे अनुरोध करती है कि वह ऐसा प्रबन्ध करे जिससे श्री मॉण्टेग्यु पूर्वोक्त सप्ताह बम्बईमें व्यतीत न करके कलकत्तेमें व्यतीत करें।

४. यह परिषद् गुजरातकी कांग्रेस समितियों, होमरूल लीगकी शाखाओं तथा अन्य राजनैतिक संस्थाओंसे आग्रहपूर्वक विनती करती है कि वे कांग्रेस तथा मुस्लिम लीग द्वारा अंगीकार की गई स्वराज्य-योजनाके लिए निरन्तर कार्य करें; उसी प्रकार परिषद् गुजरातियोंको सलाह देती है कि वे श्री मॉण्टेग्युको भेजे जानेवाले स्वराज्य-सम्बन्धी प्रार्थनापत्रपर[२], जिसपर फिलहाल हस्ताक्षर लिये जा रहे हैं, अधिकसे-अधिक संख्यामें हस्ताक्षर लें।

[गुजरातीसे]
गुजराती, ११-११-१९१७
 
  1. ये प्रस्ताव अध्यक्ष द्वारा प्रस्तुत किये गये थे और सम्भवत: इनका मसविदा गांधीजीने तैयार किया था
  2. श्री मोण्टेग्युको भेंट की गई याचिका; इसका मसविदा गांधीजीने तैयार किया था। देखिए खण्ड १३ पृष्ठ ५३७। बिहार और उड़ीसाके लोगोंकी ओरसे भी एक वैसा ही प्रार्थनापत्र भेजा गया था।