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७९. पत्र : भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसको[१]

दिसम्बर २६, १९१८

मुझे क्लेश है कि मैं इस बार कांग्रेस में हाजिर न हो सका । मेरा स्वास्थ्य ठीक नहीं है । आशा है कि दोनों तरफके प्रतिनिधि कांग्रेस में हाजिर होंगे। मेरी ईश्वरसे प्रार्थना है कि कांग्रेसका काम सफल हो ।

मोहनदास करमचन्द गांधी

प्रताप, ३०-१२-१९१८

८०. पत्र : चम्पारनके कलक्टरको[२]

साबरमती,
[१९१८]

भीतीहरवा स्कूलका काम सँभालनेवाले श्री पुण्डलीकने मुझसे कहा है कि उनसे अक्सर पूछा जाता है कि वे किसके प्रतिनिधिको हैसियतसे काम करते हैं और उनका काम क्या है | यह पत्र में यही बतलानेके लिये लिख रहा हूँ । श्री पुण्डलीक मेरे प्रतिनिधिकी हैसियतसे काम कर रहे हैं और जो काम वे कर रहे हैं, उसके लिये उनको भारत सेवक समाज ( सर्वेट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी) के डॉ० देवकी सिफारिशपर मैंने ही चुना है । वे स्वैच्छिक अवैतनिक कार्यकर्त्ता हैं ।

हृदयसे आपका,

[ अंग्रेजीसे ]

जी० एन० ५२२० की फोटो नकलसे ।

  1. कांग्रेसके दिल्ली अधिवेशन में यह पत्र संक्षेपमें पण्डित मदनमोहन मालवीयने पढ़कर सुनाया था।
  2. यह पत्र महादेव देसाईने श्री पुण्डलीकको हिन्दीमें लिखे अपने एक पत्र ( जी० एन० ५२२० ) में उद्धृत किया था । पत्रका प्रारम्भिक अंश इस प्रकार था : " आपकी चिट्ठियाँ मिलती हैं। आप दृढ़ता काम करते रहोगे । आपके बारेमें आज कलक्टरको महात्माजीने नीचे लिखी हुई चिट्टी लिखी है।"