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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

पिछले दो दिनोंसे तवीयत कुछ ठीक मालूम पड़ रही है, लेकिन इस प्रकारके सुधारका तबतक कोई भरोसा नहीं जबतक वह एक-दो पखवारे तक टिका न रहे । शेष महादेव लिखेंगे ।

सस्नेह,

तुम्हारा,
बापू

[ अंग्रेजीसे ]

माई डियर चाइल्ड

८३. पत्र : सी० एफ० एन्ड्रयूजको

जनवरी ६, १९१९

मेरा खयाल है कि मुझे तन्दुरुस्तीके उतार-चढ़ावोंका आदी हो जाना चाहिए, उनसे परेशान नहीं होना चाहिए, क्योंकि लगता है कि इस लम्बी बीमारीसे उठनेसे पहले मुझे शायद कई उतार-चढ़ाव देखने पड़ेंगे। इस वक्त तो मैं बिलकुल अच्छा दिखाई देता हूँ । मुझे कुछ इंजेक्शन लेनेके लिए सहमत होना पड़ा है और उनका जैसा सोचा था वैसा ही असर हो रहा है। ये इंजेक्शन भूखको जाग्रत करनेके लिए थे। मुझे स्वीकार करना चाहिए कि इस समयका मेरा भोजन गुण और मात्रा दोनोंमें ऐसा है, जिससे खाऊ आदमीको भी ईर्ष्या हो सकती है। किन्तु नहीं कहा जा सकता कि मेरी बीमारी कब पलटा खा जायेगी । मेरा खयाल है कि कोई बहुत सावधानीसे निरीक्षण करनेवाला आदमी हो, तो वह समय-पत्रक बना सकता है और यह भविष्यवाणी कर सकता है कि आगे बीमारीमें कब पलटा आयेगा और उसके बाद दूसरे कब-कब आयेंगे। आजकल मैं एक बहुत बड़े डॉक्टरकी देखरेखमें हूँ । ये मुझे पन्द्रह इंजेक्शन देना चाहते हैं, जिनमें से अबतक चार दिये जा चुके हैं । इसलिए मेरे लिए आगामी दिनोंकी अपनी दशाकी कल्पना जरा भी आनन्ददायक नहीं है और सुइयाँ लगवाने में तो निश्चय ही आनन्दका अनुभव नहीं होता । फिर भी जीनेके लिए हम क्या-क्या बरदाश्त करनेको तैयार नहीं होते ?

मैंने अखबार में पढ़ा कि कलकत्तेके बिशप गुजर गये। इससे तुम्हें बहुत दुःख पहुँचा होगा। परन्तु मैं सोचता हूँ कि वे दुःखसे मुक्ति पा गये यह अच्छा ही हुआ । मेरी सुविधाके विचारसे तो तुमने कुमारी फैरिंगको बोलपुर भेजकर अच्छा ही किया । परन्तु मेरा खयाल है कि तुमने यह भावनावश ही किया है। चूंकि तुम मुझे विश्वास दिलाते हो कि उसने तुम्हारे स्थानकी पूर्ति अच्छी तरहसे की है, अतः मैं अधिक कुछ नहीं कह सकता। अलबत्ता कुमारी फैरिंगके पत्रसे मुझे यह महसूस हुआ कि शान्तिनिकेतनमें ऊपरकी कक्षाओंको या यों भी कह सकते हैं कि नीचेकी कक्षाओंको भी अंग्रेजी पढ़ाना उन्हें अनुकूल नहीं पड़ता । फिर भी कुमारी फैरिंगमें इतनी श्रद्धा है कि उसके लिए इस दुनियामें कुछ भी असम्भव नहीं । जहाँ हजारों असफल हो जाते वहाँ वह सफल हुई है। क्या डेनिश -मिशन से उसे छुट्टी मिल गई है ? क्योंकि तुम कहते हो कि बोलपुरका काम पूरा हो जानेके बाद वह मेरे पास आनेवाली है । कोई कटुता उत्पन्न किये बिना