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पत्र : भगनलाल गांधीको

यदि उसने वहाँसे पूरी तौरपर छुट्टी पा ली हो तो बहुत बड़ी बात मानी जायेगी । मैं पन्द्रह तारीख तक तो बम्बईमें हूँ ही । बादमें मेरे कोलम्बो जानेकी बात है । यह कहाँ तक उचित होगा, सो मुझे सोचना होगा। कांग्रेसके प्रतिनिधिके रूपमें मेरे चुनावके बारेमें तुम कोई चिन्ता न करना । में अभी किसी अन्तिम निर्णयपर नहीं पहुँचा हूँ । जानता हूँ कि जब वस्तु-स्थिति मेरे सामने आकर खड़ी होगी, तब मुझे अपना मार्ग दीपककी तरह साफ दीख जायेगा । अभी में किसी बातकी चिन्ता नहीं करता । प्रतिनिधि बनकर जानेके लिए मैं उत्सुक नहीं हूँ । परन्तु यदि वह मेरे लिए कर्त्तव्य ही बन जायेगा, तो मैं उसे टालूंगा नहीं। आशा है कि तुम सकुशल होंगे ।

[ अंग्रेजीसे ]
महादेव देसाईकी हस्तलिखित डायरीसे ।
सौजन्य : नारायण देसाई

८४. पत्र : डॉ० प्राणजीवन मेहताको

[ बम्बई]
जनवरी ९, १९१९

मेरी तबीयत चन्द्रमाकी कलाओं-जैसी है। बढ़ती और घटती है । सिर्फ अमावस्या से बची रहती है। बवासीरसे होनेवाला दर्द बिलकुल मिट गया है । परन्तु खानेकी रुचि नहीं होती और शरीरमें शक्ति नहीं आती, उस हद तक रोग अभी बाकी है।

[ गुजरातीसे ]
महादेवभाईनी डायरी,खण्ड ४

८५. पत्र : मगनलाल गांधीको

[ बम्बई]
जनवरी १०, १९१९


[ चि० मगनलाल, ]

मैं आजकल प्रत्येक विषयपर इतने गहरे विचारोंमें डूब जाता हूँ कि अक्सर उसमें से कुछ भाग तुम सबको देनेकी बड़ी इच्छा हो जाती है । परन्तु मनके अनुत्साह और शरीरकी दुर्बलताके कारण न कुछ लिख सकता हूँ और न लिखवा सकता हूँ । आज लिखाये बिना नहीं रह सकता । मेरी आत्मा इसकी साक्षी है कि आजकल मैं जो-जो परिवर्तन कर रहा हूँ, उनका कारण मेरी [ मनकी ] दुर्बलता नहीं है । ये परिवर्तन में तटस्थतापूर्वक कर रहा हूँ; उनके मूलमें मेरी सबलता ही है और उसका मुख्य कारण तुम सबको और मित्रोंको संतोष देना है। बा का चेहरा मुझसे देखा नहीं जाता।